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भारत में क्‍यों बढ़ रहे हैं ‘हार्ट अटैक’ के मामले, आखि‍र क्‍या है ‘रिस्‍क फैक्‍टर’, जानें हार्ट को लेकर गलतफहमी

हमें फॉलो करें भारत में क्‍यों बढ़ रहे हैं ‘हार्ट अटैक’ के मामले, आखि‍र क्‍या है ‘रिस्‍क फैक्‍टर’, जानें हार्ट को लेकर गलतफहमी
, शुक्रवार, 3 सितम्बर 2021 (12:26 IST)
  • हार्ट अटैक से जुड़ी कुछ गलतफहमियां भी मौत की जिम्मेदार हैं।
  • सिर्फ हाई कोलेस्ट्रोल या ब्लड प्रेशर के मरीज ही हार्ट अटैक से पीड़ित हो सकते हैं, ऐसा नहीं है।
किसी ने सोचा भी नहीं था कि सिद्धार्थ शुक्ला जैसा 40 साल का फिट और हेल्दी एक्‍टर हार्ट अटैक का शिकार हो सकता है।

सवाल यह है कि जब लोग अपनी सेहत को लेकर पहले से ज्यादा जागरुक हैं, ऐसे में हार्ट अटैक के मामले बढ़ रहे हैं। हम चाहे बाहर से कितने फिट क्यों न दिखाई देते हों, अंदर से भी हमें रहने की जरूरत है। भारत में हार्ट अटैक के कारण मौत की संख्या पर एक नजर डालने से चौंकाने वाला खुलासा होता है। 2016 से लेकर 2019 तक भारत में हार्ट अटैक की वजह से मौत का आंकड़ा बढ़ा है।

2016 में 21,914 लोगों ने हार्ट अटैक के कारण जान गंवाई। 2017 में मरने वालों की संख्या 23,249 रही, 2018 में 25,764 और 2019 में 28,005 लोगों की हार्ट अटैक से मौत हुई।

कार्डियोलॉजिस्ट विशेषज्ञों का कहना है कि हकीकत में महामारी के दौरान हम अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरुक हो गए हैं, लेकिन ये भी वास्तविकता है कि लोग उसके लिए बहुत ज्यादा नहीं कर रहे हैं। उसके अलावा, हार्ट अटैक से जुड़ी कुछ गलतफहमियां भी हैं।

कुछ लोगों का मानना है कि सिर्फ हाई कोलेस्ट्रोल या ब्लड प्रेशर के मरीज ही हार्ट अटैक से पीड़ित हो सकते हैं। लिहाजा, उनका ज्यादा फोकस इस पर रहता है और अपना ब्लड टेस्ट हर छह महीनों पर कराते हैं।

हार्ट अटैक से जुड़ी गलतफहमी
लोगों को समझना होगा कि प्रमुख जोखिम फैक्टर क्या हैं। आज ये स्मोकिंग और तनाव हैं। रि‍सर्च कहती है कि आज कोई भी तनाव का आंकलन नहीं करता है और उसके बारे में बहुत कम प्रयास करता है। दूसरी महत्वपूर्ण बात स्मोकिंग आम हो गई है।

ये सबसे खतरनाक जोखिम फैक्टर है। व्यायाम की कमी, खराब खानपान और अपर्याप्त नींद की भी इसके लिए जिम्‍मेदार है। रात की अच्छी नींद का कोई विकल्प नहीं हो सकता। अगर पिछली रात आप ठीक तरीके से नींद नहीं ले सके, तो अगले दिन तनाव का लेवल बढ़ जाएगा।

स्मोकिंग से जु़ड़ी एक आम गलतफहमी को इस तरह समझा जा सकता है कि लोग छोड़ने के बजाए गिनती को कम करते हैं, हालांकि ये मददगार नहीं है। अगर आपको अपने हार्ट से प्यार है, तो स्मोकिंग छोड़ना महत्वपूर्ण हो जाता है। सिगरेट में कमी पर बहुत सारे लोग खुद की तुलना दूसरों से करते हैं। ये गलत है।

उसके अलावा, आज हमारा फोकस पूरी तरह मसल बनाने पर हो गया है। हम स्मार्ट दिखाई देना चाहते हैं, लेकिन हमारी अंदरुनी सेहत उसकी वजह से प्रभावित होती है। सच ये है कि ये सिर्फ मसल बनाने के बारे में नहीं है बल्कि आपको अंदर से हेल्दी रहना है और तनाव ऐसा कभी नहीं होने दे सकता।

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