जलवायु परिवर्तन से 28 नई बीमारियाँ आईं
विश्व स्वास्थ्य दिवस पर रोकथाम का लिया संकल्प
जलवायु परिवर्तन के कारण होरहे बदलाव ने पूरे विश्व का ध्यान अपनी ओर खींचा है। जलवायु में तेजी से और लगातार हो रहे परिवर्तन के कारण मलेरिया और डेंगू के साथ ही दूसरी बीमारियों ने भी सर उठाना शुरू कर दिया है, जिसके कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस वर्ष 7 अप्रैल को आयोजित विश्व स्वास्थ्य दिवस को ‘जलवायु परिवर्तन से स्वास्थ्य सुरक्षा दिवस’ के रूप में मनाने का संकल्प लिया है। इस वर्ष डब्ल्यूएचओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन) की 60वीं वर्षगांठ भी है। डब्ल्यूएचओ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली बीमारियों में पिछले कुछ वर्षों में व्यापाक तेजी है, जिसके कारण विश्व के कई भाग में नई बीमारियों ने अपना जाल फैलाया है। भारत और पड़ोसी देशों में डेंगू, मलेरिया और ऐसी दूसरी बीमारियों में भी तेजी आई है। पिछले कुछ वर्षों से भारत में वातावरण में तेज गर्मी और सर्दी देखने को मिल रही है। बारिश के मौसम भी छोटे-बड़े होने लगे हैं। वर्ष 2006 में राजस्थान, गुजरात में बाढ़ की भयानक स्थिति उत्पन्न हो गई थी। वहीं उड़ीसा में पिछले सात-आठ से सूखे का प्रकोप है। जलवायु परिवर्तन के कारण 1973 के बाद भारत में 28 नई तरह की बीमारियाँ सामने आई हैं।पूर्वी उत्तर प्रदेश में इंसेफ्लाइटिस के |
डब्ल्यूएचओ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली बीमारियों में पिछले कुछ वर्षों में व्यापाक तेजी है, जिसके कारण विश्व के कई भाग में नई बीमारियों ने अपना जाल फैलाया है। भारत और पड़ोसी देशों में डेंगू, मलेरिया में तेजी आई। |
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बीमार बच्चों की संख्या में हर साल इजाफा जो रहा है। इस संबंध में लखनऊ के राममनोहर लोहिया अस्पताल के डॉ विजय दीपक वर्मा ने बताया कि अक्सर बैक्टिरिया से होने वाली बीमारियाँ मौसम सापेक्ष होती हैं। पहले इंसेफ्लाइटिस के मरीजों केवल जुलाई से सितंबर के दौरान आते थे, वहीं अब पूरे साल इसके मरीजों दिखते है। यह बीमारी भी बैक्टिरिया के कारण होती है, जिसके फैलने के कारणों में जलवायु परिवर्तन भी एक कारक है।
पिछले कुछ दशकों से वाइरल फीवर के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। आमतौर पर बैक्टिरिया मौसम के हिसाब से सक्रिय होते हैं। जैसे गर्मी से सर्दी या बरसात आने पर इनका प्रकोप बढ़ जाता है। मौसम में बदलाव के कारण ऋतु परिवर्तन के असामान्य होने के कारण वायरल फीवर के मरीजों में वृद्धि हो रही है।
जलवायु परिवर्तन के अंतरराष्ट्रीय पैनल के मुताबिक विश्व के औसत तापमान में एक डिग्री सेल्शियस की वृद्धि हुई है। पैनल का मानना है कि ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में रुकावट नहीं आने के कारण जलवायु में कई परिवर्तन आए हैं, जो कि स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल रहे हैं।
इस बात की आशंका जताई जा रही है कि आने वाले 90 वर्षों में तापमान में 1.8 से 4 डिग्री सेल्शियस तक की वृद्धि हो जाएगी। ग्लोबल वार्मिंग और बेमौसम होने वाली बारीश के कारण बीमारियों में इफाजा हुआ है। साथ ही कुपोषण के मामले भी बढ़े हैं।
जलवायु परिवर्तन के कारण सर्दी और गरमी के मौसम में मरने वालों की संख्या बढ़ी है। पिछले कुछ वर्षों में भारत में बदलते मौसम के दौरान हजारों लोगों ने अपनी जान गवांई है। भारत में लू लगने से हाइपोथेमिया (हीट वेव) और हृदय और सांस से संबंधित रोगी बढ़ रहे हैं।
भारत, बांग्लादेश और मलेशिया में जलवायु परिवर्तन के कारण हर साल डेंगू, मलेरिया, डायरिया, चिकनगुनिया और जापानी इंसेफ्लाइटिस के कारण काफी तादात में मौत होती है। वहीं वायरल हेपेटाइटिस के मरीजों की संख्या में तेजी आई है। पिछले इस साल में इस बीमारी पर किसी प्रकार का अंकुश नहीं लग पाया है। जहाँ 1996 में वायरल हेपेटाइटिस के 131808 मामले सामने आए, वहीं 2004 में यह बढ़कर 203939 हो गया। हालाँकि इसके अगले वर्ष इसमें थोड़ी कमी आई। इधर कालरा के रोगी भी हर साल भारी संख्या में अस्पलात में भरती होते हैं। 1997 में जहाँ 3173 मरीज थे, वो 2004 में 4728 होगए।
बदलते मौसम के कारण बीमारियों के प्रति मनुष्य का शरीर संतुलन नहीं बना पा रहा है, जिससे हर साल मौतों का आँकड़ा बढ़ता जा रहा है। भारत में बदलते मौसम की मार अन्य देशों की अपेक्षा ज्यादा है। वैसे ऐसा नहीं है कि मौसम की मार केवल भारत पर पड़ रही हो।
बीमारी ........विश्व में न्यूनतम दर ........ भारत में दर ........ विश्व में अधिकतम दर
डायरिया ..................... 0.2 ..................................14 ......................... 114
सांस की बीमारी ............0.1 ................................10 ......................... 56
मलेरिया ..................... 0.0 ..................................1.7 .........................4.2
अन्य वाइरल बीमारी .... 0.0 ................................1.7 ......................... 4.2
सीओपीडी ................... 0.0 ................................2.7 ........................ 4.7
दमा .......................... 0.3 ................................1.3 ..........................2.4
जलवायु परिवर्तन का सबसे बड़ा असर मलेरिया पर हुआ है। पिछले 8 साल में इसके प्रभाव क्षेत्र में 10 फीसदी और इलाकों आए हैं। वहीं आशंका जताई जा रही है कि 2080 तक पूरा भारत मलेरिया के चपेट में होगा।
संयुक्त राष्ट्रसंघ (यूएन) ने इस बात को भी ध्यान में रखा है कि जलवायु में परिवर्तन के कारण बाढ़, सूखा और तूफान के कारण और इसके फलस्वरूप कई महामारियाँ फैलती हैं। इन सभी प्रकार की बीमारियों के प्रति जागरुकता और जलवायु परिवर्तन के असामान्य प्रभावों से जन सामान्य की सुरक्षा हो सके।