इंदौर। प्रसव के बाद पेट में दर्द रहना एक आम समस्या है। प्रसव के बाद महिलाओं के श्रोणी प्रदेश की मांसपेशियां शिथिल होकर लटक जाती हैं। इसी की वजह से महिलाओं को प्रसव के बाद दर्द बना रहता है साथ ही पेट भी लटक जाता है।
फिजियोथेरेपी से इन दोनों समस्याओं को निदान किया जा सकता है। यह जानकारी इंडियन एसोसिएशन ऑफ फीजियोथेरेपिस्ट्स की 52वीं वार्षिक कांफ्रेंस में बेलगाम कर्नाटक से आए डॉ. प्रशांत मुक्कनावर ने दी। उन्होंने बताया कि इस स्थान की मांसपेशियां पुनः अपने स्थान पर नहीं लौटतीं है। इसलिए प्रसव पूर्व एवं प्रसव के बाद गहन फिजियोथेरेपी की जरूरत होती है। फिजियोथेरेपी के जरिए दूसरे बच्चे के प्रसव के दौरान सिजेरियन डिलेवरी को भी टाला जा सकता है।
डॉ. संदीप शर्मा चंडीगढ़ से आए एक नाक, कान गला रोग विशेषज्ञ हैं। उन्होंने चक्कर आने की समस्या से निदान के लिए फिजियोथेरेपी की उपयोगिता की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि एक जर्मन चिकित्सक ब्रांड डेरोफ द्वारा वैस्टिब्यूलर रिहेबिलिटेशन प्रोग्राम बनाया गया है जिससे मरीज को चक्कर आने से निजात दिलाई जा सकती है।
कान में एक तरल पदार्थ होता है जिसके मॉलिक्यूल डिस्टर्ब होने के कारण चक्कर आने लगते हैं, इन्हें इस तरह की एक्सरसाइज से ठीक किया जा सकता है। चक्कर आने का कारण सर्वाइकल स्पौंडिलाइटिस भी है जो आईटी इंडस्ट्री में काम करने वाले युवाओं को अक्सर हो जाता है। इस ठीक करने में भी फिजियोथेरेपी की प्रमुख भूमिका है।
डॉ. संजय परमार ने स्पास्टिक सिरेब्रल पल्सी से पीड़ित बच्चों में होने वाली शारीरिक विसंगतियों एवं उन्हें दुरूस्त करने में फिजियोथेरेपी की भूमिका पर व्याख्यान दिया।
उन्होंने बताया कि इस तरह के बच्चों की पसलियों का मूवमेंट कम होने की वजह से उनकी एरोबिक कैपेसिटी कम हो जाती है। उन्हें फिजियोथेरेपी के जरिए ऐरोबिक कैपेसिटी बढ़ाने का प्रशिक्षण दिया जा सकता है।