मोटापा न केवल हृदय रोग और दूसरी बीमारियाँ लाता है, बल्कि इससे अलग यह सेक्सुआलिटी को भी प्रभावित करता है। बढ़ते बच्चों में मोटापे से यौवन उम्र से पहले आता है। इसके कारण उन्हें तमाम तरह की परेशानियों से दो-चार होना पड़ता है। विशेष तौर पर ये समस्याएँ लड़कियों के साथ होती हैं।
विश्व कैंसर रिसर्च कोश की ओर से हाल ही में किए गए एक शोध में बताया गया है कि मोटापे से लीवर संबंधी बीमारी होती है, जो सेक्सुआलिटी को प्रभावित करता है।
लीवर हमारे शरीर के 500 से ज्यादा चयापचयी (मेटाबॉलिक) कार्यों के लिए जिम्मेदार है। मोटापे के कारण लीवर पर वसा का अतिरिक्त भार पड़ जाता है, जिससे इसके कार्य करने की गति धीमी होने लगती है। इससे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगता है।
लीवर के कार्यों में शरीर की जनन प्रक्रिया में सहयोग देना भी शामिल है। यह रक्त से रीप्रोडक्टिव हार्मोन तैयार करता है। स्त्री के शरीर में प्रत्येक मासिक के 14 से 28 दिन के बीच गर्भाशय, स्तन और दूसरे जननीय ऊतक में मासिक के लिए कई तरह के बदलाव आते हैं, जो कि अगले मासिक की प्रक्रिया का अंग होता है। इस समय शरीर के भीतर जिस तरह के वातावरण की जरूरत होती है, उसमें लीवर का विशेष योगदान होता है।
लीवर के सँकरा और उस पर वसा की परत जम जाने के कारण वह अपना कार्य सुचारु रूप से नहीं कर पाता है। मासिक के अंतिम समय में जो हार्मोन उत्सर्जित होते हैं, वे अन्य ऊतकों के लिए विषैले होते हैं! इस वजह से महिलाओं को सीने में दर्द, बदन में ऐंठन और अन्य परेशानियाँ हो जाती हैं। इसे पीएमएस से जाना जाता है।
शोध के मुताबिक महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजेन की पर्याप्त मात्रा होती है, जिसका उसके शरीर पर संरक्षात्मक प्रभाव पड़ता है, लेकिन इसकी दूसरे रूप, एस्ट्रोन की मात्रा अधिक होने या एस्ट्रोजेन के ज्यादा मात्रा में निर्माण होने के कारण कैंसर होने की आशंका भी बढ़ जाती है। मोटी महिलाओं में एस्ट्रोन का ज्यादा निर्माण होता है। इससे उन्हें पीएमएस होने की आशंका बढ़ जाती है।
इपिडेमिओलॉजी के अनुसार बच्चों में मोटापे के कारण समय पूर्व यौवन आने की संभावना बढ़ जाती है। शोध में इस बात की भी संभावना जताई गई है कि जेनेस्ट्रोजेन और बेमौसम आने वाले यौवन में संबंध होता है। पहले की अपेक्षा आज के बच्चे ज्यादा मोटे होते हैं। वे प्लास्टिक और दूसरे केमिकल के संपर्क में रहते हैं, इस वजह से बच्चों, खासकर लड़कियों में जेनेस्ट्रोजेन के निर्माण की संभावना बढ़ जाती है। इससे समय से पूर्व यौवन आ जाता है।