Shree Sundarkand

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

क्‍या है इस्नोफीलिया

Advertiesment
हमें फॉलो करें इस्नोफीलिया
- डॉ. एस.के. सिन्हा (इंदौर)

ND
इस्नोफीलिया शब्द बार-बार अपने कान में पड़ता रहता है, कभी पड़ोसी के यहाँ से, कभी अपने साथी के मुँह से या फिर डॉक्टर के चैम्बर में। आखिर यह क्या है? क्यों होता है? और फिर निदान या चिकित्सा क्या है? उपरोक्त प्रश्न बराबर सभी को कौंधता है और परेशान करता है।

रक्त में इस्नोफीलिया की संख्या बढ़ जाने को इस्नोफीलिया कहते हैं। यह इस्नोफीलिया की संख्या 1 से 6 प्रतिशत जो कि नार्मल है, उसके ऊपर बढ़ने पर होता है।

इस्नोफीलिया ल्यूकोसाइट का एक हिस्सा है, जिसे सामन्यता 1 से 6 प्रतिशत तक ही होना चाहिए। इसकी संख्या बढ़ने के अनेक कारण हो सकते हैं जैसे दमा, त्वचा रोग, फाईलेरिएसिस, एलर्जीजन्य बुखार, घातक एनीमिया या ट्रौपिकल इस्नोफीलिया।

होम्योपैथी में इस रोग का निदान भी अन्य रोगों की तरह रोगी की अवस्था, रंग, रूप, स्त्री, पुरुष, स्थूल, कृषकाय अथवा नार्मल स्वास्थ्य, साथ ही रोगी कैसे वातावरण में रहता है या नेचर ऑफ वर्क क्या है, इन सब चीजों पर विचार करते हुए सटीक दवाओं का चयन कर रोग के समूल नाश कर शारीरिक इक्युनिटी को बढ़ा देता है, जिससे इस्नोफीलिया अपने नार्मल सीमा (1-6 प्रतिशत) के अंदर ही रहता है।
  इस्नोफीलिया ल्यूकोसाइट का एक हिस्सा है, जिसे सामन्यता 1 से 6 प्रतिशत तक ही होना चाहिए। इसकी संख्या बढ़ने के अनेक कारण हो सकते हैं जैसे दमा, त्वचा रोग, फाईलेरिएसिस, एलर्जीजन्य बुखार, घातक एनीमिया या ट्रौपिकल इस्नोफीलिया।      


लक्षण एवं चिकित्सा-
1. इस्नोफीलिया के रोगी को अगर बलगम कठिनाई से निकले, विरोध से गुस्सा साथ में थाईराइड विकार हो तो थायरॉडीन 200 या 1 एम साप्ताहिक या दिन में 3 या 4 बार दें।

2. यदि रोग के कारण दम घुटे, साँस लेने में परेशानी हो, गले के चारों ओर थोड़ा सा भी दवाब सहन न होता हो कोल्डड्रिंक्स, विनेगार, नींबू या अचार खाने से रोग बढ़े तो लेकेसिस की उच्च या निम्न शक्ति दिन में 3 बार लाभदायक है।

3. बरसात या नम मौसम में साँस लेने में कठिनाई हो या ठंड लग गई हो अथवा पानी में उगने वाले पदार्थ खाने से रोग बढ़ता हो तो नेट्रम सल्फ-6 दिन में तीन बार दें।

4. सर्दी या स्पर्श के प्रति संवेदनशील, ढीला-सा बलगम, थोड़ी सी ठंड बढ़ने से रोग में वृद्धि या साँस में साँय-साँय की आवाज में हिपर सल्फर 6 या 30 दिन में तीन बार रोग से मुक्त करता है।

5. खाँसी आने से पहले साँस में कठिनाई, गले में सुरसुराहट, छाती के निचले सिरे में सुई चुभने या दर्द या मूवमेंट से रोग बढ़े एवं गर्म पेय या आराम करने से परेशानी हो तो कैशिया सोफैरा क्यू या 30 दिन में तीन बार।

अन्य महत्वपूर्ण औषधियाँ-
साईलिसिया, आर्सेनिक अल्ब, इपिकॉक, बेसिनिलम्‌ ट्यूवर कूलाईनम, फास्फोरस, मेडोराईनम और सिफिलनम।

परहेज- दूध। क्योंकि दूध में थायराईड ग्रंथी का स्राव होता है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi