डॉ. रश्मि सुधा
जीवन में हम बहुत सी शारीरिक और मानसिक बीमारियों से गुज़रते हैं। अनावश्यक तनाव भी इसी प्रकार की एक बीमारी है जो बहुत सी मानसिक चिंताओं जैसे जल्दी परेशान हो जाना, प्रतिदिन होने वाले कामों की चिंता करने से उत्पन्न हो जाती है। इस मानसिक तनाव के बहुत से प्रकार होते हैं जैसे- पैनिक डिस्ऑर्डर, ऑपसेसिव-कंपल्सिव डिस्ऑर्डर, फोबिया और पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिस्ऑर्डर।कारणमानसिक तनाव के बहुत से कारण हो सकते हैं जिनमें मस्तिष्क में पाए जाने वाले रसायनो का बढ़ना या घटना, इन्सोमेनिया, अत्याधिक तनाव, कोई बड़ा हादसा आदि।इनके साथ कई मेडिकल परिस्थितियाँ भी शामिल हो सकती हैं जैसे- हाईपोग्लायसीमिया या फिर कोई तनावपूर्ण कार्य या यह अनुवांशिक भी हो सकता है।लक्षणइस तरह के तनाव में शारीरिक लक्षणों के साथ-साथ भावनात्मक लक्षण भी देखे जाते हैं। भावनात्मक लक्षणों में डर,घबराहट,बुरे सपने यह फिर किसी पुराने हादसे की याद शामिल हो सकते हैं। इस तनाव से गुज़र रहे मरीज़ों में नींद कम आना, तेज़ हृदयगति, हाथों का ठंडा पड़ जाना आदि लक्षण देखे गए हैं।उपायइसके इलाज के लिए कई विकल्प मौजूद हैं जिनमें दवाइयों के साथ फिज़ियोथेरेपी को भी शामिल किया जाता है। किसी भी निष्कर्ष पर पहुँचने से पहले बीमारी को ठीक से जाँच लेना ज़रूरी होता है इसलिए मनोविश्लेषक इसकी जाँच के साथ-साथ यह भी पता लगाते हैं कि यह बीमारी कहीं अनुवांशिक तो नहीं।निम्नलिखित मिलेजुले प्रयोग द्वारा इस बीमारी से निपटा जा सकता है - बिहेवियर थेरेपी (व्यवहार पद्धति) इस थेरेपी में मरीज़ के अवांछित बर्ताव पर नियंत्रण पाने की कोशिश की जाती है। मरीज़ इस थेरेपी के माध्यम से कठिन परिस्थितियों का सामना करना सीखता है। इसमें रिलेक्सेशन तकनीक द्वारा मरीज़ को अपना व्यवहार परिस्थिति के मुताबिक बदलना सिखाया जाता है।कोग्निटिव थेरेपीइस थेरेपी में मरीज़ के दिमाग में आने वाले बुरे विचारों पर नियंत्रण रखना सिखाया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि इन विचारों से तकलीफदायक भावनाएँ ना उत्पन्न हों।कोग्निटिव-बिहेवोरियल थेरेपीकई डॉक्टर दोनो पद्धतियों के संयोजन का भी प्रयोग करते हैं। इस थेरेपी से मरीज़ जल्दी बेहतर होने के तरीको को जान पाते हैं। |
इस थेरेपी में मरीज़ के अवांछित बर्ताव पर नियंत्रण पाने की कोशिश की जाती है। मरीज़ इस थेरेपी के माध्यम से कठिन परिस्थितियों का सामना करना सीखता है। इसमें रिलेक्सेशन तकनीक द्वारा मरीज़ को अपना व्यवहार परिस्थिति के मुताबिक बदलना सिखाया जाता है... |
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रिलेक्सेशन थेरेपी
यह थेरेपी मरीज़ को शारीरिक तकलीफों से आराम दिलाने में मददगार साबित होती हैं। इस तकनीक में मरीज़ से व्यायाम कराया जाता है। इन सारी पद्धतियों के साथ ही कुछ दवाएँ भी दी जाती हैं।
दवाईयाँ
हल्के ट्रॉक्यूलाइज़र, एंटीडिप्रेसेंट और कई सारी दवाईयाँ दी जाती हैं जिनसे मरीज़ आराम महसूस कर सकता है। ज़्यादातर उपयोग में आने वाली दवाएँ हैं अल्प्राज़ोलम, डाऐज़ीपाम,क्लोनेज़ीपाम आदि।