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गलक्षत और होम्योपैथी

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डॉ. एस.के. सिन्हा
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साधारणत: इसके तीन प्रमुख कारण हैं -

1. बहुत दिनों तक पुरानी सर्दी की वजह से गले में घाव हो जाता है।
2. कंठमाला-धातु के व्यक्तियों के गले में जख्म होता है।
3. उपदंश-ग्रस्त व्यक्तियों के गले में जख्म होता है।
रोग निर्वाचन -
किस तरह बीमारी की उत्पत्ति हुई है, रोगी से जाना जा सकता है, इसके अलावा भौतिक परीक्षण से एवं जख्म की प्रकृ‍ति देखकर भी बहुत कुछ समझा जा सकता है। श्लेश्मा या पुरानी सर्दी की वजह से जख्‍म होने पर जख्म छिछला होगा, गहरा नहीं।
कंठमाला की वजह से जख्‍म होने पर गहरा होगा, तथा जख्म नरम, थुलथुले पर इसके किनारे ऊबड़-खाबड़ मिलेंगे, समान नहीं।

सिफलिस के जख्‍म - आकार गोल और जख्म गहरा होगा इसकी धार असमान ऊबड़-खाबड़ नहीं मिलेगी। इसके किनारे नोकदार एवं खूब ऊँचे मिलेंगे।

चिकित्सा - साधारण मुँह का जख्‍म जिस तरह साफ रखा जाता है। इस जख्‍म को भी ठीक वैसे ही साफ रखना होगा। मांस, मछली, सड़े पदार्थ खाना, बीड़ी, तंबाकू, चुरट, सिगरेट पीना, पान खाना मना है।

औषधि - लक्षणानुसार औरम मेटैलिकम, बैप्टीसीया, हियर सल्फर, हाईड्रैस्टिस, कैली बाईक्रोम, मरक्यूरियस सौल, एसिड, नाईट्रिकम आरोग्यता का काम करती हैं।

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