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लीवर बचाने की टिप्स पद्धति

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डॉ. कैलाश पटे
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शराबखोरी के कारण अथवा अन्य कारणों से क्षतिग्रस्त हो चुके लीवर को नया जीवन देने के लिए टिप्स पद्धति से एक शंट लगाया जाता है। इस शंट से पेट के खून की नसों में बढ़े हुए तनाव को कम किया जा सकता है।

लीवर सिरोसिस नामक बीमारी में लीवर की कोशिकाएँ कड़क हो जाती हैं, उसके परिणामस्वरूप लीवर तक रक्त लाने वाली खून की नली जिसे कि पोर्टल वैन कहते हैं, उसमें प्रेशर बढ़ जाता है।

इसे पोर्टल हाईपरटेंशन कहते हैं। लीवर सिरोसिस होने के कई कारण हैं, परंतु प्रमुख रूप से अत्यधिक एवं नियमित शराबखोरी के अलावा हिपेटाइटिस ए, हिपेटाइटिस बी या सी किस्म के संक्रमण हैं। एक बार लीवर सिरोसिस हो जाए तो उसका एकमात्र उपाय है लीवर ट्रांसप्लांट करना।

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लीवर ट्रांसप्लांट करने के लिए लीवर दान में मिलना चाहिए, जो मैच हो सके। जब तक लीवर मिले तब तक मरीज को राहत पहुँचाने के लिए लीवर की पोर्टल वैन और हिपेटिक वैन में एक नया पुल (शंट) लगा दिया जाता है। इसे चिकित्सकीय भाषा में ट्रांसजुगलर इन्ट्राहिपेटिक पोर्टो सिस्टमेटिक शंट या टिप्स कहा जाता है। शंट द्वारा पेट के खून की नसों में ब़ढ़े तनाव को कम करके उससे होने वाले कुप्रभाव को कम किया जाता है।

सामान्यतः आँतों और तिल्ली से पोर्टल वैन लीवर में रक्त ले जाती है। लीवर में फिल्टर होने के बाद रक्त हिपेटिक वैन द्वारा हृदय में पहुँचता है। लीवर सिरोसिस होने पर रक्त शुद्ध होने की प्रक्रिया अवरुद्ध होने लगती है। परिणामस्वरूप लीवर की रक्त लाने वाली पोर्टल वैन में तनाव बढ़ने लगता है।

सामान्यतः पोर्टल वैन प्रेशर 7 मिमी से भी कम रहता है, लेकिन पोर्टल हाईपरटेंशन में यह 20-50 मिमी हो जाता है। इससे बनने वाले बैक प्रेशर के कारण आहार नली, आमाशय एवं आँतों की अंदर वाली सतह पर खून की नलियाँ फूल जाती हैं। तनाव अधिक होने पर फट भी जाती हैं, जिससे आँतों से खून निकलने लगता है एवं मरीज की जान को खतरा उत्पन्न हो जाता है।

मरीज के पेट एवं छाती में खूब पानी भर जाता है, जो बार-बार सुई डालकर निकालने पर भी नहीं सूखता। इस कारण मरीज का पेट अत्यधिक फूलने लगता है एवं छाती में भी पानी भर जाता है, जिससे मरीज को साँस लेने में अत्यधिक तकलीफ होने लगती है।

इन समस्याओं को न तो औषधियों से और न ही सर्जरी से नियंत्रित किया जा सकता है। पोर्टल एवं हिपेटिक वैन के बीच एक नया रास्ता बनाकर तनाव को कुछ कम किया जा सकता है। इससे कुछ ही दिनों में मरीज के पेट या छाती का पानी भी पूरी तरह से सूख जाता है एवं आँतों में होने वाला रक्तस्राव भी रुक जाता है तथा सिरोसिस का मरीज पूर्ण रूप से इन तकलीफों से निजात पा सकता है।

क्या लक्षण हैं

* श्वास नली, आमाशय तथा आँतों से होने वाला रक्तस्राव औषधियों से ठीक नहीं होता।

* जब पेट में पानी भर जाता है एवं दूसरे उपायों से सूखता नहीं है।

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