लोगों का रूझान अब दवाइयाँ गटकने की बजाय शब्दों से हिलिंग करने की ओर जा रहा है। वैसे तो शब्दों की शक्ति से किसी बीमारी को जड़ से मिटा देने की यह थैरेपी नई नहीं है। इसे हम हिप्नोटिज्म या हिप्नोथैरेपी के रूप में जानते हैं।
यह वह कला है जो दवाई की तुलना में ज्यादा असरदार होती है। वैचारिक असंतुलन या मानसिक रोग में ९० प्रतिशत केसेस ऐसे हैं जिन्हें हिप्नोथैरेपी से ठीक किया जा सकता है। लोगों में असामान्य व्यवहार की वजहें फोबिया, सोशो इकानामिकल फैक्टर, बायोलाजीकल फैक्टर, केमिकल रिजन, मेल नरिशमेंट और जेनेटिक फैक्टर हो सकते हैं।
वैकल्पिक इलाज के रूप में सम्मोहन
केस हिस्ट्री
27 वर्षीय इंजीनियर राकेश शर्मा (नाम परिवर्तित) अज्ञात भय का शिकार। काफी इलाज करवाया किन्तु कोई लाभ नहीं हुआ। अंत में दोस्त के कहने पर हिप्नोथैरेपिस्ट की शरण ली। टाइम रीग्रेशन थैरेपी से पता चला कि वह पिछले जन्म में किसान था। उसकी पत्नी की मृत्यु हो जाने के बाद उसे उसकी बहू बहुत परेशान करती थी। परेशानी से निजात पाने के लिए अपने ही खेत में फाँसी को गले लगा लिया। अब कोई भय नहीं लगता है। निडरतापूर्वक रहते हैं।
केस हिस्ट्री
सुनिल मंडलोई (परिवर्तित नाम) बचपन से ही एक सपना दिखाई देता था। चारों तरफ रेत ही रेत है, ऊँट पर कुछ लोग बैठे हैं। कोई मुझे आवाज दे रहा है। मैं चिल्लाता हूँ कि मैं आ रहा हूँ और नींद खुल जाती है। आखिर यह सपना मुझे बार-बार क्यों आता है।
टाइम रीग्रेशन थैरेपी से ज्ञात हुआ कि पिछले जन्म में बीकानेर के पास एक गाँव गरीबी में दिन गुजार रहे थे। पाकिस्तान से कुछ लोग आते थे और स्मगलिंग के लिए प्रेरित करते थे। लेकिन पत्नी की इच्छा नहीं थी कि वे गलत रास्ते पर जाए। वो नहीं माना और उन लोगों के साथ चल दिया लेकिन रास्ते में साँप के काटने से मृत्यु हो गई। अब सपना आना बंद हो गया है और चैन की नींद सोते हैं।
सिर्फ दो ही केस नहीं रोजाना ऐसे कई केसेस आते हैं जो व्यक्ति विशेष के भूत या भविष्य से जुड़े होते हैं। हिप्नोथैरेपिस्ट डॉ. सिंघ कहते हैं विचार वायरस का काम करते हैं। लोगों में भय समाया हुआ है।
किसी को नौकरी छूट जाने का भय है तो कोई एक्स्ट्रा मेरिटल अफेयर से परेशान है तो कोई डिप्रेशन का शिकार है तो किसी में लेक ऑफ कॉन्फिडेंस है। ऐसे कई कारण हैं जो मानसिक तनाव को जन्म देते हैं जो कभी-कभी दौरों में बदल जाते हैं और मानसिक रोगों का कारण बनते हैं।
कैसे बनाएँ दूरी इनसे
" मेडिटेशन करें
" बायोक्लॉक सेट होना चाहिए यानी निश्चित समय पर सोए
" चरित्र ठीक रखें
" झूठ न बोलें
" संबंधों के प्रति गंभीर रहें
" आहार व विहार सही रखें
" आवेग, आक्रोश को हावी न होने दें।
क्यों होता है ये
" जीवन में संघर्ष बढ़ गया है
" संस्कारों का महत्व कम होना
" नौकरी का बार-बार बदलना
" मेंटल कांफ्लिक्स
" संयुक्त परिवारों का विघटन
" पति-पत्नी में इगो प्राब्लम
" व्यक्तिवाद का बढ़ना।
विज्ञान सम्मत और विश्वास पर आधारित
हिप्नोथैरेपी न केवल मानसिक रोगों में कारगर है बल्कि इससे मोटापा, पेरालिसिस जैसी बीमारियों का भी इलाज किया जा सकता है। हिप्नोथैरेपिस्ट श्वेता मंत्री कहती हैं कि यह थैरेपी पूरी तरह विश्वास पर टिकी है और विज्ञान सम्मत है।
इसमें मरीज की ब्रेन वॉशिंग की जाती है। इसकी खासियत यह है कि अभी तक मैंने इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं देखा। वे बताती है कि इस तरह के उपचार हेतु उच्च मध्यमवर्गीय तथा उच्च वर्ग के लोग ज्यादा आते हैं।
क्या है हिप्नोटिज्म
"हमारे शरीर में चेतन और अवचेतन दो तरह के मन होते हैं। जब अवचेतन मन हमारे शरीर पर हावी होने लगता है तब व्यक्ति को साइकिक प्राब्लम हो जाती है। ऐसे व्यक्ति को सिटिंग देकर उसका ब्रेन वॉश कर उसमें पॉजिटिवीटी को संचारित करते हैं। यही हिप्नोटिज्म है।"