-ज्योति साने
वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति से ह्दयरोगों के उपचार में उल्लेखनीय सफलता हासिल हुई है। साओल (साइंस एंड आर्ट ऑफ लिविंग) ह्दय कार्यक्रम एक ऐसा ही वैकल्पिक कार्यक्रम है, जो ह्दयरोगियों के जीवन में आशा की किरण बन गया है। जो ह्दयरोगी अपने दिल में अवरोधों को समाप्त करने के लिए एंजियोप्लास्टी या बाईपास सर्जरी किसी कारणवश नहीं करवा पाते, उनके लिए तो यह चिकित्सा एक वरदान ही है।
साओल चिकित्सा पद्धति में एलोपैथिक दवाइयाँ जारी रखते हुए उपचार किया जाता है। रोगी को बिना तेल व घी का अति स्वादिष्ट भोजन कराया जाता है तथा खाना पकाना भी सिखाया जाता है। एड्रेनलीन हार्मोन का स्राव रोकने हेतु तनाव के कारणों की पहचान कर उपचार किया जाता है। रोगी की दिनचर्या के अनुसार कैलोरी की गिनती करके उससे वाकिफ होना भी सिखाया जाता है। योग के वे आसन जो ह्दयरोगी आसानी से कर सकते हैं और जिनसे ह्दयगति नियंत्रित हो जाती है, रोगी की अवस्थानुसार करवाए जाते हैं। ह्दय की 'एक्सरसाइज टॉलरेंस' बढ़ाने के लिए हेल्थ रिज्युविनेटिंग एक्सरसाइज कराई जाती है। यह कार्यक्रम अमेरिका के डॉ. डीन ओर्निश द्वारा गत 10 वर्षों से किया जा रहा है। भारत में पिछले 5 वर्षों से इसकी कार्यशाला आयोजित की जा रही है।
इसमें उचित आहार एवं योग द्वारा ह्दयरोगों की सफल चिकित्सा की जा सकती है। भारत जैसे विकासशील देश के लिए यह एक वरदान ही है। आमतौर पर पूरे शरीर को रक्त की आपूर्ति करने वाले ह्दय की धमनियों में जब खानपान के तरीके व रहन-सहन की शैली से अवरोध उत्पन्न होते हैं, तब ह्दय की गति प्रभावित होती है। ह्दयगति रुक जाने के कारण व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। धमनियों में कोलेस्ट्रॉल अथवा चर्बी जमने से अवरोध पैदा होता है और अगर धमनियों में जमे पदार्थ को हटाने के लिए खानपान पर नियंत्रण तथा उचित योग-व्यायाम का प्रयोग किया जाए तो बिना चीर-फाड़ इस रोग से हमेशा के लिए मुक्ति मिल सकती है। धमनियों से अवरोध हटाने और उन्हें कोलेस्ट्रॉल और चर्बी से मुक्त रखने की इस पद्धति का नाम है- साओल ह्दय कार्यक्रम। ह्दय रोगियों के लिए प्राकृतिक चिकित्साका विकल्प ही सर्वश्रेष्ठ माना गया है। साओल ह्दय कार्यक्रम इसी पर आधारित है। साओल के अनुसार यदि ह्दयरोगी नैसर्गिक वातावरण में रहने की आदत डालें और शाकाहारी संतुलित भोजन लें तो ह्दयरोग का स्थायी इलाज संभव है। सुबह-शाम योग, ध्यान, व्यायाम एवं कम तेल व घी का भोजन बहुत जरूरी है।
साओल ह्दय कार्यक्रम में ह्दयरोगियों को तीन दिन गहन प्रशिक्षण दिया जाता है। इलाज प्रारंभ होते ही ह्दय में दर्द कम हो जाता है एवं धीरे-धीरे रोगी की हालत सुधर जाती है। रोगी के स्वस्थ होने की प्रक्रिया इस पर निर्भर होती है कि वह इस चिकित्सा पद्धति को कितनी नियमितता से अपना रहा है।