* पका हुआ आम : कुछ मीठा, स्वादिष्ट, पौष्टिक, चिकना, बलदायक, वातनाशक, हृदय को बलदायक होता है। शरीर की कांति को बढ़ाने वाला, शीतल, क्षुधावर्धक तथा पित्त को साम्यावस्था में लाने वाला है। * आम रस : आम का रस निचुड़ा हुआ- बलकारी, वायुनाशक, दस्तावर, हृदय को तृप्त करने वाला और कफवर्धक है। सूर्य किरणों से सुखाकर तैयार किया हुआ रस हल्का होता है। यह पित्तनाशक होता है तथा प्यास और जी मचलाने की शिकायत दूर करता है। यह सूखकर पापड़ी के समान हो जाता है। यह रूधिर विकारनाशक, देर से पचने वाला मधुर और शीतल होता है। * आमपाक : दो किलो कच्चे आमों को छीलकर कतर लें। फिर दो लीटर पानी में पकाएँ। जब आधा पानी रह जाए तब ठंडा कर धो लें। फलालेन के कपड़े में रस टपका लें। फिर इस अर्क के समान शकर मिला पक्की चाशनी कर लें। इसे खाने से मन प्रसन्न रहता है। इसे अँगरेजी में 'मैंगो जैली' कहते हैं। * दुग्ध के साथ आम : इसका सेवन अत्यंत लाभदायक है। यह स्वादिष्ट और रुचिवर्धक होने के साथ-साथ वातपित्त कफनाशक, बलवर्धक, पौष्टिक और देह के वर्ण को निखारने वाला है।
* आम की गुठली : आम की गुठली के गूदे में बहुत से पौषक तत्व सम्मिलित हैं। आयुर्वेद शास्त्र में इसका खूब उपयोग किया गया है।
कुछ सामान्य रोगों का आम से इलाज इस प्रकार किया जा सकता है :
* गले के रोग : आम के पत्तों को जलाकर गले के अंदर धूनी देने से गले के अनेक रोग दूर होते हैं।
* जी मिचलाना : आम की मिंगी के 5 ग्राम चूर्ण को दही के साथ मिलाकर सेवन करने से जी मिचलाना और पेट की जलन दूर होती है।
* मकड़ी का विष : अमचूर को पानी में पीसकर विषैले स्थान पर लगाएँ। इससे विष और फफोले में शीघ्र आराम होता है।
* फुंसियाँ : आम की छाल पानी में घिसकर लगाएँ।