अगर आप स्वस्थ है तो आपके के लिए हर काम आसान होता है। आपका चीजों को लेकर नजरियां ही अलग होता है। बेहतर स्वास्थ्य और सुविधाओं के लिए हर साल राष्ट्रीय पोषण सप्ताह मनाया जाता है। ताकि अधिक से अधिक लोगों को अपने स्वास्थ्य और पोषण युक्त आहार के प्रति सजग कर सकें। 1 सितंबर से 7 सितंबर तक हर साल एक सप्ताह तक मनाया जाता है। इन 7 दिन के दौरान लोगों को विटामिन, प्रोटीन और लवण के बारे में जाग्रत किया जाता है। केंद्रीय सरकार द्वारा चलाई गई स्कीम के बारे में जागृत किया जाता है।
वैश्विक आंकड़ों पर नजर डाली जाएं तो 'द स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स चिल्ड्रन 2019' के मुताबिक दुनिया में 5 साल से कम उम्र के करीब 70 करोड़ बच्चे कुपोषण का शिकार हुए। साल 2017 में राष्ट्रीय पोषण रणनीति का उद्देश्य 2022 तक भारत को कुपोषण मुक्त देश बनाना है। इंडियन कॉउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की रिपोर्ट 2017 के मुताबिक मौजूदा डेटा से सामने आया कि करीब 5 साल तक के बच्चों के मौत की सबसे बड़ी वजह कुपोषण रही है।
कैसे हुई इस सप्ताह को मनाने की शुरूआत
1973 से राष्ट्रीय पोषण सप्ताह के शुरूआत हुई थी। अमेरिका के डायटेटिक एसोसिएशन के कुछ सदस्यों द्वारा डायटेटिक्स के क्षेत्र को बढ़ावा देते हुए पोषण शिक्षा संदेश देने के लिए की गई थी। हर साल इस दिवस को मनाया जाने लगा था लेकिन 1980 में लोगों की इस विषय के प्रति गहन रूचि देखी गई थी। इसके बाद भारत में 1982 में इस नई विधा को अपनाया। और 1 सितंबर से 7 सितंबर तक राष्ट्रीय पोषण सप्ताह मनाने की शुरूआत की गई। अभियान के तहत लोगों को पोषण के महत्व को समझना शुरू किया।
कितना महत्वपूर्ण है पोषण
आज दुनिया में कई ऐसे बच्चे है जो भोजन से अपना पेट भर रहे हैं लेकिन पोषण नहीं मिल रहा है। भोजन करने से हमारे शरीर में अलग ही ऊर्जा का संचार होता है। विटामिन, प्रोटीन, जरूरी वसा, खनिज शरीर में पहुंचने पर आपका पूरी तरह से विकास होता है। अस्वस्थ्य रहने पर कई सारी गंभीर बीमारियां आपको घेर लेती है।