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आँवला : विटामिन 'सी' का भंडार

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आँवले के वृक्ष को भी अनादिकाल से पवित्र पीपल और बिल्व (बेल) के वृक्ष के समान ही पूजने की प्रथा चली आ रही है, लेकिन बहुत कम लोग ही इसके गुणों से परिचित हैं। कलमी (बड़े) आँवले की अपेक्षा छोटा आँवला, जो स्वाद में कसैला होता है, ज्यादा गुणकारी होता है। मौसम के प्रारंभ (अक्टूबर-नवंबर) में जो आँवला आता है वह रस और वीर्य से भरपूर नहीं होता है, जबकि दिसंबर से मार्च तक यह पक जाता है।


यही समय है, जब आँवले के अंदर रसायन और शक्ति देने वाले गुणों का बाहुल्य होता है। आँवले की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसे किसी भी रूप में वर्षभर उपयोग में लाया जाए (धूप में सुखाकर अथवा आग पर पकाकर या अचार, मुरब्बे के रूप में) तो भी इसके गुणों में कोई कमी नहीं आती है।

*विटामिन 'सी' का भंडार

आधुनिक रासायनिक विश्लेषण के अनुसार इसमें जितना विटामिन 'सी' होता है, उतना अन्य किसी भी फल में नहीं। बेलफल से दस गुना संतरे में और संतरे से दस गुना ज्यादा विटामिन 'सी' आँवले में पाया जाता है।

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*त्रिदोषनाशक

आँवला अम्लीय होने से वायु, मधुर तथा शीतल होने से पित्त तथा कसैला होने से कफ का नाश करता है। इस प्रकार यह त्रिदोषनाशक है।

* कब्जनाशक

संसार के समस्त रोगों का मूल कारण कब्ज ही तो है। अपने विशिष्ट गुणों के कारण आँवले का रेशा, छिलका और तंतु हमारी आँतों में जाकर वर्षों पुराने सड़े हुए मल(विजातीय द्रव्य) को बाहर निकालने में मदद करता है।

* अन्य गुण

आँवला बुढ़ापे को दूर भगाने वाला, चेहरे पर कांति लाने वाला, वीर्यवर्धक, पाचन क्रिया ठीक रखने वाला, ज्वरनाशक, हड्डियों तथा दाँतों को मजबूत बनाने वाला, रक्त शोधक, आँखों की रोशनी बढ़ाने वाला, बालों को काला व मुलायम बनाने वाला, रक्तचाप को नियंत्रित कर हृदय रोग, मधुमेह, सर्दी, खाँसी, श्वेत प्रदर, स्वप्नदोष में भी हितकारी फल है। आँवला हजार औषधियों की एक औषधि है। अतः अगर यह कहा जाए कि इसके समान दुनिया में गुणकारी अन्य कोई फल नहीं है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। इस प्रकार हम पाते हैं कि बूढ़े, जवान, स्त्री-पुरुष तथा बच्चों के लिए अतिउत्तम फल है आँवला।

जादू करता है आँवला

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कोलेस्ट्रॉल हमारे शरीर का एक अनिवार्य हिस्सा है। हमारे शरीर में लीवर कोलेस्ट्रॉल का मुख्य स्रोत है। जो कोलेस्ट्रॉल उपयोग में नहीं आता वह रक्त नलिकाओं में जमा होने लगता है। इस तरह यह दिल के दौरे का कारण भी बन जाता है। आँवले में मौजूद विटामिन सी रक्त नलिकाओं को फुलाए रखता है। इससे उच्च रक्तचाप भी कम होता है।


रोज सुबह खाली पेट एक चम्मच आँवले का पावडर पानी में घोलकर पी लें। इससे रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर स्थिर रहता है। डायबिटीज यानी मधुमेह तब होती है जब पैंक्रियाज ग्रंथि रक्त शर्करा के स्तर को नियमित रखने में असफल हो जाती है। यदि आपको मधुमेह जैसी राजशाही बीमारी ने घेर रखा है तो आप आँवले के गुणकारी एंटीऑक्सीडेंट्स पर भरोसा रख सकते हैं।


आँवला, जामुन और करेले का पावडर एक चम्मच प्रतिदिन दोनों समय लें। इससे मधुमेह को निंयत्रित करने में मदद मिलेगी। आधुनिक जीवनशैली की एक और देन है एसिडिटी। हममें से सभी कभी न कभी इसके शिकार हुए हैं। तीव्र या असाध्य एसिडिटी हो तो एक ग्राम आँवले का पावडर दूध या पानी में शक्कर के साथ मिलाकर दोनों समय पिएँ।


इसी तरह जो लोग समय से पहले सफेद हो रहे बालों की समस्या से पीड़ित हैं उन्हें आँवले की शरण में आना चाहिए। रातभर लोहे के बरतन में आँवले का पावडर घोलकर रखें। सुबह इससे सिर धो लें। यह किसी तथा कथित अच्छे शैंपू, कंडीशनर तथा हैअर डाई से भी बेहतर काम करेगा। रोज इस मिश्रण को कुछ घंटों के लिए लगाकर रखने से भी बहुत फायदा होगा।

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