ज्वर के रोगी को यदि कोई भोजन दिया जा सकता है तो वह है फलों का रस ही है। अनानास, अनार, संतरा, सेब आदि का रस ज्वर के रोगी को देना अच्छा रहता है। फलों को खूब चबा-चबाकर खाना चाहिए अन्यथा वे वायू विकार पैदा कर सकते हैं। उनको तब तक दाँतों से कुचलना चाहिए जब तक मुँह में उनका रस न बन जाए। जिनके दाँत मजबूत न हो उन्हें सेब, नाशपती, अनानास जैसे फलों के छोटे-छोटे टुकड़े करके खाना चाहिए। साथ ही फल ताजे हों, अच्छे से पके हुए हों। सड़े हुए या कच्चे फल खाने से पेट में कष्ट हो सकता है। इसलिए सावधानी रखना चाहिए।
फलों का रस सुपाच्य होने के कारण बच्चों के लिए बहुत ही उपयोगी भोजन है। टमाटर या संतरे का रस पिलाने से बच्चों को बहुत स्वास्थ्य लाभ होता है। यों भी रस में अनेक रोगोंसे बचाव के गुण होते हैं। टमाटर का ताजा रस बलवर्धक और स्फूर्तिदायक होता है। इसमें विटामिन 'ए' और 'सी' के साथ ही विटामिन 'बी' भी होता है जिससे यह भूख बढ़ाता है और शक्ति भी प्रदान करता है।
इसके अलावा सब्जियों के रस भी फलों के रस के समान ही गुण रखते हैं। केवल उनमें फलों की नैसर्गिक मिठास नहीं होती। गाजर, ककड़ी और चुकंदर के रस का सेवन लाभदायक होता है। इनके रस रक्तहीनता और थकावट का अनुभव करने वाले व्यक्तियों के लिए संजीवनी का काम करते हैं। इनको चबाकर खाना भी अच्छा रहता है। फल का रोटी और दूध के साथ बहुत अच्छा मेल है। फल भोजन के आरंभ, अंत में और बीच में खाया जा सकता है। केवल रसदार फलों को अंत में खाना ठीक है। हर फल महँगा नहीं होता। न ही फल खाना महँगा शौक है। स्थानीय उपलब्धता के आधार पर फल का चयन किया जा सकता है। फलों के उपयोग को अपनी आदत बनाइए और स्वस्थ रहिए।