शिमला। हिमाचल विधानसभा चुनावों में जनता ने एक बार फिर राज बदलते हुए कांग्रेस के पक्ष में फैसला सुनाया है। 68 में से 40 सीटों जीतने वाली कांग्रेस आज नए मुख्यमंत्री के नाम पर मंथन करेगी। मुख्यमंत्री पद की दौड़ में 6 लोग शामिल।
कांग्रेस की जीत के बाद अब मुख्यमंत्री पद के दावेदारों को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष प्रतिभा सिंह, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू, अब तक नेता प्रतिपक्ष रहे मुकेश अग्निहोत्री तथा कुछ अन्य नेताओं के नाम मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में शामिल हैं। बहरहाल हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री का नाम पार्टी आलाकमान तय करेगा और उसके फैसले पर सभी मिलकर आगे बढ़ेंगे।
हिमाचल प्रदेश में भाजपा से सत्ता छीनने के बाद कांग्रेस ने शुक्रवार को यहां अपने सभी नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक बुलाई है। इस दौरान कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) का नेता चुनने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष को अधिकृत करते हुए एक प्रस्ताव पारित किए जाने की संभावना है।
उधर, प्रतिभा सिंह के पुत्र और विधायक विक्रमादित्य सिंह ने कहा, 'बेटे के रूप में, मैं अपनी मां को मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहूंगा, लेकिन इस संबंध में फैसला विजेता उम्मीदवारों और आलाकमान द्वारा लिया जाएगा।'
बहरहाल कांग्रेस के लिए एक ऐसे नेता का मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में चुनाव करना चुनौतीपूर्ण है, जो पार्टी को आगे ले जाते हुए उसे एकजुट रख सके। पार्टी के नवनिर्वाचित विधायकों की उनके नेता के चुनाव के लिए शीघ्र बैठक होगी।
राज बदला रिवाज नहीं : हिमाचल प्रदेश का 1985 से यह राजनीतिक इतिहास रहा है कि यहां की जनता ने किसी भी पार्टी को लगातार दो बार सत्ता की चाबी नहीं सौंपी है। भाजपा इस बार राज नहीं रिवाज बदलने के नारे पर चुनाव लड़ रही थी। हालांकि जनता ने पार्टी की एक नहीं सुनी।
किसे कितने वोट : कांग्रेस ने इस बार 43.90 प्रतिशत वोट हासिल किए तो भाजपा 43 फीसदी वोट ही हासिल कर सकी। आप को 1.10 फीसदी, माकपा को 0.66 फीसदी, बसपा को 0.35 फीसदी और निर्दलीय व अन्य को 10.39 फीसदी, जबकि नोटा को 0.59 फीसदी वोट मिले।
4 में से 3 संसदीय क्षेत्र में भाजपा को झटका : हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में 25 सीटों पर जीत दर्ज करने वाली भाजपा को राज्य के शिमला, हमीरपुर और कांगड़ा संसदीय क्षेत्रों के अंतर्गत आने वाले विधानसभा क्षेत्रों में करारा झटका लगा है। हालांकि, पार्टी ने मंडी लोकसभा क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन किया।
भाजपा को भारी पड़े यह मुद्दे : पुरानी पेंशन योजना बहाल करने का वादा कांग्रेस के लिए वरदान साबित हुआ जबकि सेब उत्पादकों के मुद्दों ने करीब 20 सीटों पर भाजपा की संभावनाओं पर पानी फेर दिया। मतदाता बढ़ती बेरोजगारी और महंगाई से नाराज थे और सरकार के खिलाफ एक मजबूत सत्ता विरोधी लहर थी। सेना में अग्निपथ योजना पर भी हिमाचल के लोग भाजपा से नाराज नजर आए।
Edited by : Nrapendra Gupta