हिन्दी ना कभी थकी है, ना थमी है
, बुधवार, 10 सितम्बर 2014 (12:47 IST)
हमारी भाषा हिन्दी को लेकर देश भर में एक अव्यक्त चिंता की स्थिति हमेशा बनी रहती है। वास्तव में हिन्दी जिस तरह से इंटरनेट पर फल फूल रही है उसे लेकर कुछ लोगों में अनावश्यक सा भय है। भाषा के प्रति पिछले कुछ समय से एक 'कुनियोजित' रुझान बनाया जा रहा है।
यह रुझान शक्तिशाली प्रबुद्ध वर्ग बनाने का प्रयास कर रहे हैं। यह वर्ग इस बात को पूरी ताकत से प्रमाणित करने में लगा है कि 'अंगरेजी का जानना' ही हमारे लिए वरदान साबित हो सकता है अगर नौकरी के अच्छे और उच्च अवसर पाने हैं तो अंगरेजी सीखना ही होगा।
इस दुष्प्रचार का कुपरिणाम ही है कि मीडिया में आए दिन 'वी द पीपुल' जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से हिन्दी और हिन्दी जानने वालों की जमकर फजीहत की जाती है और अंतत: इस निष्कर्ष पर पहुंचा जाता है कि अंगरेजी के बिना भवसागर पार नहीं किया जा सकता।