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घर की छावनी : फौजी मूल्य दर्शाती

कुमार रजनीश

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एक किताब में परिवार, समाज और परिवेश का होना चौंकाता नहीं है बल्कि इनकी मौजूदगी से ही लेखन की प्रक्रिया आगे बढ़ती है या हम कह सकते हैं कि जीवन के तनाव और तापमान को इसी के सहारे व्यापक फलक प्रदान करते हैं। लेकिन किसी किताब में केवल एक परिवार हो और लेखिका भी परिवार की सदस्य तो थोड़ा चौंकना लाजिमी हो जाता है।

डॉ. हेमलता दिखित द्वारा लिखी गई पुस्तक 'घर की छावनी' आत्मकथा नहीं है। बल्कि एक परंपरागत फौजी परिवार जिसने होल्कर रियासत की इंदौर आर्मी, भारत सरकार के रक्षा विभाग, संयुक्त राष्ट्रसंघ की शांति सेना तथा अन्य संस्थाओं में अपनी सक्रिय भूमिका निभाने वाले सदस्यों की कहानी है। और इन पात्रों के बहाने उस दौर की घटनाओं और सामाजिक-राजनीतिक मूल्यों से भी पाठक परिचित हो सकते हैं।

किताब में लेखिका का पूरा ध्यान अपने पिता मंगलसिंह दिखित पर है। मंगल सिंह दिखित भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल थे। लेखिका के घर का पूरा माहौल फौजी मूल्यों और अनुशासन में बंधा है। स्वतंत्रता तो है लेकिन स्वच्छंदता नहीं है। लेखिका को इस बात पर गर्व है कि उनकी परवरिश फौजी मूल्यों और अनुशासन की धूप तले हुई।

फौजी का जीवन अपने आप में एक किताब होता है। यह अलग बात है कि यहाँ मासूमियत, माफी, ममता और मोह के लिए बहुत स्पेस नहीं होता है। लेकिन इन पहलुओं के बावजूद, फौजी परिवेश में कई चीजें ऐसी बिखरी होती हैं जिसे दर्ज किया जा सकता है। जब हम एक फौजी को प्रोफेशन में परखने की कोशिश करते हैं तो हमारे जेहन के कई मिथ्य खंडित होते हैं।

हेमलता ने अपने पिता के सहारे कई ऐसे स्थापित मिथ्यों को तोड़ा है। यह बात सही है कि इंसान के जीवन पर अपने प्रोफेशन का खास प्रभाव होता है। लेकिन जब हम प्रोफेशन में अनुशासन से वाकिफ होते हैं तो कई बार किसी इंसान को प्रोफेशन के हिसाब से ही आँकने की भूल कर बैठते हैं। लेखिका इन्हीं मूल्यों को रेखांकित करती है।

पुस्तक : घर की छावनी
लेखिका : हेमलता दिखित
प्रकाशक : हेमलता दिखित
मूल्य : 110 रुपए

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