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नवीन रांगियाल
बिमल जालान मूल रूप से अर्थशास्त्री हैं, लेकिन यह पुस्तक लिखते समय उन्होंने सिर्फ अर्थशास्त्र को ही नहीं चुना बल्कि राष्ट्र के दो अतिमहत्वपूर्ण अंग राजनीति और शासन को भी पुस्तक में शामिल कर विषय को और अधिक रचनात्मक बना दिया। पढ़ते समय कहीं लगता नहीं कि हम किसी अर्थशास्त्री से मुखातिब हैं। '
भारत का भविष्य' राजनीति, अर्थशास्त्र, और शासन को आधार बनाकर लिखा गया एक अत्यंत महत्वपूर्ण दस्तावेज है जो भारतीय लोकतंत्र की कार्यप्रणाली, संसद की सिमटती हुई भूमिका और बोझिल न्यायपालिका के अतिरिक्त गरीबी, अशिक्षा और भ्रष्टाचार जैसे विषयों पर न सिर्फ प्रकाश डालता है उनके समाधान के लिए राह भी सुझाता है।जैसा कि जालान ने लिखा है कि 'यह किताब भारत के भाग्य में समय-समय पर होने वाले बदलावों के कारणों को समझने और अपने सामर्थ्य को पूरी तरह जानने में हुई हमारी असफलताओं के कारणों को खोजने का एक प्रयास है।'लोकतंत्र के सकारात्मक एवं नकारात्मक पहलुओं पर चर्चा करते हुए लेखक एक प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ के विचारों को लोकतंत्र की श्रेष्ठ परिभाषा बताते हैं कि 'एक प्राचीन और एक अरब से अधिक आबादी की अनेकता में एकता वाली सभ्यता के रूप में, अपने पड़ोसियों को नुकसान पहुँचाए बिना लोकतांत्रिक ढांचे में रहते हुए निरंतर विकास करने के लिए भारत की प्रशंसा करनी चाहिए।' |
राजनीति, अर्थशास्त्र, और शासन को आधार बनाकर लिखा गया एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है जो भारतीय लोकतंत्र की कार्यप्रणाली, बोझिल न्यायपालिका के अतिरिक्त गरीबी, अशिक्षा और भ्रष्टाचार जैसे विषयों पर न सिर्फ प्रकाश डालता है उनके समाधान के लिए राह भी सुझाता है। |
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लेकिन लोकतंत्र के नकारात्मक पक्ष को उजागर करते हुए लिखते हैं कि बावजूद इसके आज भी राजनीतिज्ञों एवं आर्थिक समीक्षकों के बीच लोकतंत्र से जनता को होने वाले लाभ को लेकर अनेक विवाद और आशंकाएँ मौजूद हैं।
देश की शासन प्रणाली, नौकरशाही एवं राजनीति में भ्रष्टाचार की जड़ों पर अफसोस जताते हुए अपने विचार व्यक्त करते हैं कि सांस्कृतिक धरोहर और राजनीतिक इतिहास में समृद्ध भारत जैसा देश अब दुनिया में सबसे भ्रष्ट देशों में गिना जाता है।
भारत का भविष्य मूलत: अंग्रेजी में लिखी गई और अशोक कुमार द्वारा हिन्दी में अनूदित इस दस्तावेज में भारत के लगभग सभी महत्वपूर्ण विषयों, समस्याओं और उनके समाधान पर विस्तार से लिखा गया है, आशा तो यह की जाना चाहिए कि यह पुस्तक अधिकांश राजनीतिज्ञ, नौकरशाहों और 'भारत के भविष्य' की चिंता करने वालों के हाथों तक पहुँचे। पुस्तक जानकारीपरक तो है ही विचारपरक भी है।
पुस्तक- भारत का भविष्य
लेखक- बिमल जालान
प्रकाशक- पेंगुइन बुक्स इंडिया, यात्रा बुक्स, 2007
मूल्य- 150