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'पॉवर ऑफ थॉट' : न्यायमूर्ति प्रीतम पाल की पुस्तक

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पुस्तक 'पॉवर ऑफ थॉट' के लेखक न्यायमूर्ति प्रीतम पाल पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश हैं, वर्तमान में हरियाणा सरकार के लोकायुक्त हैं। इस पु‍स्तक में नई पीढ़ी को ताकत और प्रेरणा देने व जीत हासिल करने के सरल मंत्र हैं, वहीं आधुनिक जीवन की चुनौतियों का सामना करने के टिप्स भी हैं।

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ले‍खक ने पुस्तक में अपने अनुभवों का निचोड़ दिया है और कहा है कि युवा जैसा सोचेंगे, वैसे ही काम करेंगे और अंत में वैसे ही बन भी जाएंगे। पुस्तक मानव जीवन में महत्वपूर्ण मूल्यों पर प्रकाश डालती है जो कि समाज के सभी वर्गों के लोगों के लिए उपयोगी है। उनका कहना है कि स्वर्ग या नर्क हमारी कल्पना का हिस्सा हैं और हम जैसा बनाना चाहेंगे वैसा ही अंतिम परिणाम पैदा होगा।

लेखक कहता है कि विचार दिल और दिमाग के लिए बीजों का काम करते हैं और आप जैसा बीज बोएंगे आपको वैसा ही फल मिलेगा। इस पुस्तक को बारह अध्यायों में बांटा गया है। इसमें लेखक ने 'पॉवर ऑफ थॉट' के अपने अनुभव से शुरू किया है। इसमें आत्मविश्वास को पैदा करने और अपने को जानने पर भी विचार दिए गए हैं।

लेखक का कहना है कि सकारात्मक और साहसिक विचारों का हमारे जीवन पर असर पड़ता है और इन्हीं की मदद से आप सभी बाधाओं का हिम्मत के साथ सामना करते हैं। विचारों को उन्नत बनाने के लिए और जीवन जीने की कला के साथ भ्रष्टाचार और अपराधों से दूर रहने के उपाय भी बताए गए हैं। इन सारी बातों को लेखक ने समुचित उदाहरणों के साथ स्पष्ट किया है और उनका कहना है कि भारत में युवाओं को वैदिक भारतीय संस्कृति को अपनाना चाहिए।

लेखक ने समय समय पर समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में आध्यात्मिक और विधिक मामलों पर लेख भी लिखे हैं। उनकी दो अन्य किताबें भी हैं। एक पुस्तक हिंदी में- 'विचार मुक्ति के चमत्कार' और दूसरी संस्कृत में 'मुक्ति प्राप्ति की वैदिक विधि' है।

लेखक के बारे में-

प्रीतम पाल का जन्म 3 जून, 1947 को एक किसान परिवार में हरियाणा के यमुना नगर जिले में हुआ था। पढ़ाई पंजाब और कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालयों में हुई और जिला कोर्ट करनाल में 14 वर्षों तक कानून की प्रैक्टिस की। बाद में हरियाणा की न्यायिक सेवा में रहे और कई जिलों में अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश रहे। चंडीगढ़ में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में रजिस्ट्रार जनरल रहने के बाद पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में न्यायाधीश के तौर पर काम किया। वर्ष 2009 में रिटायर्ड होने के बाद राज्यपाल ने राज्य उपभोक्ता आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया।

बाद में, आप हरियाणा के लोकायुक्त भी नियुक्त किए गए। लोकायुक्त पद पर रहते हुए आपने सार्वजनिक जीवन में सुधार के विषयों पर ध्यान दिया और लोक जीवन को उन्नत बनाने के लिए नए विचार दिए। उन्होंने राज्य सरकार को भ्रष्टाचार समाप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए और चाहा कि युवाओं के चरित्र निर्माण में इन विचारों को आजमाया जाए ताकि एक स्वस्थ नागरिक समाज पैदा हो सके।

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