Biodata Maker

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

हिन्दी कहानी का व्यवस्थित इतिहास

राजकमल प्रकाशन

Advertiesment
हमें फॉलो करें हिन्दी कहानी
ND
पुस्तक के बारे में :
यह हिन्दी कहानी का पहला व्यवस्थित इतिहास है और हिन्दी-उर्दू कहानी का पहला समेकित इतिहास भी। उल्लेखनीय है कि अनेक कहानीकार एक साथ हिन्दी और उर्दू दोनों भाषाओं में लिख रहे थे। इनमें प्रेमचंद प्रमुख हैं। इसके अलावा सुदर्शन, उपेंद्रनाथ अश्क, आदि भी उर्दू और हिन्दी में साथ-साथ लिख रहे थे। इस पुस्तक में हिन्दी और उर्दू के साथ-साथ भोजपुरी, मैथिली और राजस्थानी के कहानी-साहित्य को स्थान दिया गया है।

पुस्तक के चुनिंदा अं
'उपन्यास' और 'कहानी' की भेदक पहचान का एक आधार उनका आकार भी माना जाता है। उपन्यास का आकार 'बड़ा' और कहानी का आकार छोटा होता है। पर 'छोटा' और 'बड़ा' शब्द सापेक्ष है और उनका कोई निश्चित मापदंड निर्धारित नहीं किया जा सकता। 'छोटी कहानी' या शार्ट स्टोरी की एक 'क्लासिक' परिभाषा यह है कि उसे एक बैठक में समाप्त हो जाना चाहिए। एडगर एलेन पो के अनुसार कहानी मात्र इतनी लंबी होनी चाहिए कि वह आधे घंटे से लेकर दो घंटे में समाप्त की जा सके।
('हिन्दी कहानी और इतिहास' से)
***
उन्नीसवीं शताब्दी में हिन्दी या उर्दू में प्रकाशित कोई भी जिसका आकार भले ही 'कहानी' के निकट हो, 'कहानी' नहीं कही जा सकती। भवदेव पांडेय ने इसका एक कारण 'कहानी लेखन' के प्रति भारतेंदु युग की नकारात्मक सोच बताया है और इसे प्रमाणित करने के लिए चौधरी बद्रीनारायण 'प्रेमधन' का 1905 की 'आनंद कादम्बिनी' में छपा एक कथन उद्‍धृत किया है। पर विचार करने पर इस तर्क में कोई दम नहीं जान पड़ता। भारतेंदु युग में कथा लेखन में अद्‍भुत सक्रियता दिखाई देती है। स्वयं भारतेंदु से लेकर बालकृष्ण भट्‍ट, किशोरीलाल गोस्वामी, देवकीनंदन खत्री, भुवनेश्वर मिश्र आदि की रचनाएँ इसका प्रमाण हैं।
(हिन्दी कहानी का जन्म और नामकरण : 1900-1910)
***
प्रेमचंद धन संपत्ति के केंद्रीकरण को टॉल्सटॉय और गाँधी जी की ही तरह सम्मान की दृष्टि से नहीं देखते थे। 'नशा' कहानी व्यक्ति पर पड़ने वाले धन के दूषित प्रभाव का बहुत ही मनोवैज्ञानिक आंकलन करती है। प्रेमचंद अनैतिक तरीकों से अर्जित धन की तुलना में ईमानदारी से, खून पसीना बहाकर अर्जित कमाई को अधिक महत्व देते हैं। 'दो बहनें', कहानी में ईर्ष्याजनित मनोविज्ञान के साथ अपने इस विचार का प्रभावशाली अंकन किया गया है।
('नई जमीन की तलाश' से)

समीक्षकीय टिप्पणी
प्रस्तुत पुस्तक में 1900-1950 की अवधि में लिखित कहानी साहित्य का इतिहास प्रस्तुत किया गया है। यह हिन्दी कहानी के इतिहास का पहला खंड है। ‍साहित्यिक विधाओं में 'कहानी' का इतिहास लिखना कुछ ज्यादा ही मुश्किल काम है। कहानियाँ प्राय: पहले पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती हैं। बाद में उनके संग्रह प्रकाशित होते हैं। कभी-कभी कहानियों के पत्रिकाओं में प्रकाशन और संग्रह के रूप में प्रकाशन में इतना अंतराल हो जाता है कि उसकी जानकारी न होने पर उनका विवेचन अनर्थकारी हो जाता है। कहना न होगा कि गोपाल राय ने जोखिम उठाते हुए यह मुश्किल काम इस पुस्तक के रूप में पूरा किया है।

शोध: हिन्दी कहानी का इतिहास
लेखक : गोपाल राय
प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन
पृष्ठ : 480
मूल्य : 550 रुपए

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi