Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

बीते कल के सितारे : अनूठी जानकारियों से सजा बेजोड़ संग्रह

हमें फॉलो करें बीते कल के सितारे : अनूठी जानकारियों से सजा बेजोड़ संग्रह
webdunia

स्मृति आदित्य

इन दिनों जबकि मुंबई की मायानगरी मुंबई के ही महासागर की तरह निरंतर विस्तारित हो रही है ऐसे में इस सुनहरे संसार का ओर-छोर तलाशना नामुमकिन नहीं तो मुश्किल जरूर है। इस मुश्किल काम को अंजाम दिया है अपने समय के जाने माने फिल्म लेखक/समीक्षक/पत्रकार श्री श्रीराम ताम्रकर ने। 'बीते कल के सितारे' इस नाम से प्रस्तुत उनकी पुस्तक में बॉलीवुड के महासिंधु के उन नायाब चमकदार मोतियों को सहेजा गया है जिनके नाम भी आज की पीढ़ी नहीं जानती। 
यह पुस्तक उन फिल्म प्रेमियों/पाठकों के लिए बेशकीमती तोहफा है जो इस अनूठी दुनिया को मुड़कर देखना चाहते हैं। जो झांकना चाहते हैं फिल्मों के अतीत के आकाश में और देखना चाहते हैं कल के उन जगमगाते-झिलमिलाते सितारों को जो आज की चकाचौंध वाली रोशनी में नहीं दिख सकते... और धूमिल हो चले हैं। यह पुस्तक उनके लिए भी है जो बीते हुए चमकते दौर को शब्दों के माध्यम से फिर से अपनी आंखों के समक्ष थिरकता देखना चाहते हैं। बीते दौर की एक पूरी पीढ़ी को (जिन्होंने फिल्म-उद्योग को तराशने का काम किया) पुस्तक में पिरोकर आने वाली पीढ़ी को भेंट में देना इतना आसान काम नहीं था, जिसे लेखक ने इतने मनोयोग से रच दिया है। 
 
स्वयं लेखक के शब्दों में, पुस्तक में कोशिश है कि भारत में सिनेमा आगमन के पूर्व से लेकर सिनेमा के 50 साल पूरे होने तक जिन हस्तियों ने अपने दौर में सिनेमा के विकास में योगदान दिया है उन्हें रेखांकित किया जाए। इससे वर्तमान पीढ़ी को नींव के उन पत्थरों की जानकारी मिलेगी जिन पर आज बॉलीवुड का 'हवामहल' खड़ा है। 
 
लेखक ने विनम्रतापूर्वक यह माना है कि यह अपने आप में संपूर्ण प्रयास नहीं है। बिना किसी पूर्वाग्रह या दुराग्रह के पुस्तक में कई सितारे शामिल होने से रह गए हैं। जबकि वास्तविकता यह है कि पुस्तक जिस रूप में संजोई गई है वह न सिर्फ संग्रहणीय है बल्कि संपूर्ण दिलचस्पी के साथ पठनीय है। 
 
पुस्तक में बीते दौर के प्रमुख अभिनेता/अभिनेत्री/निर्माता/निर्देशकों का परिचय रोचक और सुबोध शैली में दिया गया है। तथ्यों की गंभीरता जहां जानकारी में अभिवृद्धि करती है वहीं भाषा की सहजता और अपनी बात को कहने का सुव्यवस्थित अंदाज पाठक में पढ़ने की रूचि जगाता है। दुर्लभ जानकारियों, चटपटे किस्सों और लंबे अनुभव से सजी यह पुस्तक अपने प्रथम पृष्ठ से ही लेखक की मेहनत और फिल्मों के प्रति उनके समर्पण भाव को स्पष्ट करती है। 
 
पुस्तक को रोचकता के स्तर पर इस तरह सिंचित किया गया है कि वह हर तरफ से हरी-भरी और विलक्षण जानकारियों से लहलहाती नजर आए। अपने जमाने में 'एनसाइक्लोपीडिया ऑफ फिल्म कहे जाने वाले लेखक का फिल्मों के प्रति गहरा रूझान, अगाध स्नेह और आश्चर्यजनक रूप से समर्पण पुस्तक की समूची प्रस्तुति में दिखाई देता है। लंबे समय तक लेखक ने फिल्मों का अध्यापन भी किया यही वजह है कि पाठकों को विद्यार्थी समझ कर गंभीर जानकारी भी सरल, स्पष्ट, सटीक और संक्षिप्त रूप में दी गई है। 
 
पुस्तक 'बीते कल के सितारे' में ताम्रकर जी ने सिनेमा के जन्म की कहानी से अपनी बात आरंभ की है और जैसे-जैसे पुस्तक आगे बढ़ती है अनूठे किस्सों और कहानियों के साथ एक के बाद एक सितारों के परिचय सामने आता है, जिनमें अभिनेता/अभिनेत्री/निर्माता/निर्देशक जैसी हर बड़ी शख्सियत शामिल हैं। ऐसे-ऐसे दुर्लभ नाम, जिनके स्वर्णिम योगदान के बिना बॉलीवुड की कल्पना ही मुश्किल है और ऐसे-ऐसे लोकप्रिय और सदाबहार नाम भी जिनके बारे में अधिकांश फिल्म-प्रेमी निरंतर पढ़ना और जानना चाहते हैं। उनकी निजी जिंदगी के अनछुए पहलू हो या उनके संघर्ष की गाथा, रूमानी संबधों का चटखारा हो या उनके योगदान की प्रामाणिक जानकारी हर बात पुस्तक में इस सहजता से आती है और जानकारी देकर आगे बढ़ जाती है कि कहीं पर भी बोझिलता हावी नहीं होती। 
 
दादा साहब फालके/ भालजी पेंढारकर/ बिलिमोरिया/ आर्देशिर इरानी/ख्वाजा अहमद अब्बास जैसे महत्वपूर्ण नामों की जानकारियों ने जहां पुस्तक को  गंभीरता दी है वहीं दिलकश अभिनेत्री मधुबाला/सुरैया/नूरजहां/नरगिस/निम्मी जैसी कई अदाकाराओं के किस्सों और जानकारियों ने उसे कोमल और आकर्षक बना दिया है। 
 
पुस्तक की अनूठी विशेषता यह है कि जैसे-जैसे सितारों की जानकारी चल रही है पृष्ठ के दाएं-बाएं उनसे संबंधित चुटीले-चटपटे-अटपटे और चटखारेदार तथ्य मिलते हैं। इन अजब-गजब मजेदार जानकारियों ने पुस्तक को खासा रूचिकर बना दिया है। सितारों की फिल्मोग्राफी भी इसी तरह साथ-साथ चलती है। जानकारियों से भरपूर होने के बावजूद पुस्तक पाठक को थकाती नहीं बल्कि क्लैप-बाय-क्लैप दिलचस्पी जगाती है। 
 
यह पुस्तक हर उस संस्थान के पुस्तकालय की शोभा होनी चाहिए जहां फिल्मों पर लिखा-पढ़ा और सोचा जाता है। जो जानना चाहते हैं कि आज का बॉलीवुड कल किस दौर में हुआ करता था और उन्हें भी पुस्तक अपने कलेक्शन में रखनी चाहिए जो फिल्मों से सच्चा प्यार करते हैं। 
 
 
पुस्तक : बीते कल के सितारे (सिनेमा की आधी सदी का सफर) 
लेखक : श्रीराम ताम्रकर  
प्रकाशक : लता दीनानाथ मंगेशकर ग्रामोफोन रेकार्ड संग्रहालय 
मूल्य : 500 रुपए 
संपर्क सूत्र : 07312857077 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

यूरिक एसिड कम करेंगे यह 5 उपाय