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साहित्य मंच पर फूहड़ता का विरोध करती कविता 'सावधान पुलिस मंच पर है'

हमें फॉलो करें साहित्य मंच पर फूहड़ता का विरोध करती कविता 'सावधान पुलिस मंच पर है'
- इतिश्री सिंह राठौर


 
वह कहते हैं न कि मुस्कुराते हुए कही हुई बात अक्सर चुभ जाती है। हमारे मन में कई सारे आक्रोश होते हैं। देश में हो रहीं विभिन्न घटनाओं को लेकर, भ्रष्टाचार को लेकर, आसपास चल रहे वृत्तांतों को लेकर। लेकिन हम उसे अक्सर व्यक्त नहीं कर पाते।
 
मगर दिल्ली एंथम के रचयिता सुमित प्रताप सिंह ने व्यंग्यात्मक लहजे से कविता के रूप में अपनी किताब 'सावधान पुलिस मंच पर है' के माध्यम से इन सभी पर तीखा प्रहार किया है, जो कहीं न कहीं दिल में उतर जाती है। 'सावधान पुलिस मंच पर है' के जरिए कई किरदारों तथा कई घटनाओं जैसे किसानों की मौत, धरना, वैलेंटाइन-डे आदि पर व्यंग्य कसने में कवि सफल हुए हैं। किसानों पर पुस्तक से कुछ लाइनें इस प्रकार हैं-
 
मरना चाहता है क्या तू बबुआ
तो पीता क्यों जहर का डबुआ
बन जा तू भारत का किसान
काज कर ले बस यह महान
मर जाएगा कुछ दिनों में
तर जाएगा कुछ दिनों में 
 
इस कविता के माध्यम से भारत में किसानों की स्थिति के बारे बड़ी तल्ख उपमा दी गई है।
 
कविता 'धरना' के माध्यम से बात-बात पर हो रहे धरनों पर टिप्पणी दी गई है, जो कुछ इस प्रकार व्यक्त क‍ी गई है-
 
विपक्षी दल को भला और क्या करना
सुबह, शाम, दोपहर बस देते रहो धरना
 
पुस्तक की मुख्य कविता 'सावधान पुलिस मंच पर है' के माध्यम से कवि ने आजकल व्यंग्य, साहित्य के नाम पर मंच पर परोसे जाने वाली फूहड़ता, अश्लीलता और चुटकुलों का विरोध किया है। जिस तरह से पुलिस चोर-लुटेरों आदि से जनता की रक्षा करती है उसी तरह पुलिस साहित्य मंच जाकर मंच पर अश्लीलता फैलाने वाले मंचीय अपराधियों को आगाह करेगी कि वे पवित्र मंच पर फूहड़ता न फैलाकर सिर्फ और सिर्फ कविता परोसें? कविता की कुछ पंक्तियां इस प्रकार हैं-
 
मंचीय जीवों से विनम्र निवेदन है
कवि हैं तो कविता ही सुनाएं
और चुटकुले बंद करके
मसखरा बनने से बाज आएं।
 
कविताओं में व्यवहृत भाषा अत्यंत ही सरल है और देश के जनमानस के लिए है। कविताओं की पंक्तियों को पढ़ किसी के चेहरे में भी मुस्कुराहट आ सकती है। ये कविताएं आज की युवा पीढ़ी को लुभा सकती हैं, लेकिन वहीं इस संग्रह में कुछ ऐसी भी कविताएं हैं, जो आज के बुद्धिजीवियों को शायद पसंद न आए। आज लोगों की यह मानसिकता बन चुकी है कि कविताओं को कोई नहीं पढ़ता। लेकिन सुमित प्रताप सिंह द्वारा लिखित व्यंग्य कविता संग्रह 'सावधान पुलिस मंच पर है' हल्की-फुल्की कविताओं की गठरी होने के कारण भले ही दिल पर गहरा असर नहीं छोड़ पाती, लेकिन कविताओं को जरूर पढ़ा जा सकता है होंठों की हंसी के लिए।
 
लेखक के बारे में...

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सुमित प्रताप सिंह का जन्म स्थान इटावा (उत्तरप्रदेश) है। दिल्ली पुलिस में कार्यरत सुमितजी की इससे पहले 3 पुस्तकें पुलिस की ट्रेनिंग, मुसीबतों की रेनिंग (कविता संग्रह), व्यंग्यस्ते (व्यंग्य संग्रह), नो कमेंट (व्यंग्य संग्रह) प्रकाशित हो चुके हैं। इनके लेखन ने इन्हें युवा हास्य कवि पुरस्कार, श्रेष्ठ युवा व्यंग्यकार, आर्यरत्न सम्मान, राजीव गांधी एक्सीलेंस अवॉर्ड आदि सम्मान का अधिकारी बनाया। इसके अलावा दिल्ली एंथम और इटावा गीत के लिए इन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई है।
 
पुस्तक : सावधान पुलिस मंच पर है
लेखक : सुमित प्रताप सिंह
प्रकाशक : हिन्दी साहित्य निकेतन
मूल्य : 200/-
 

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