Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

पुस्तक समीक्षा : देह, देहरी पार

हमें फॉलो करें पुस्तक समीक्षा : देह, देहरी पार
webdunia

प्रीति सोनी

देह अपने आप में कितनी बातें समेटे होती हैं, 
जन्म से लेकर तो मृत्यु तक और कई बार उससे भी आगे
देह अपने आप में असंख्य संभावनाएं लिए चलती है। 
 
कवियत्री स्वाति पांडे नलवाड़े का काव्य संग्रह देह देहरी पार, देह और प्रेम का अंर्तसंबंध बताता है। देह और मन की उहापोह, भावों के उमड़ने और पहुंचने से लेकर कई गहरे भावों को अभिव्यक्त किया गया है, जो काव्य संसार में तैरते जरूर नजर आते हैं, लेकिन जीवन की सच्चाई से करीबी नाता रखते हैं, लेकिन समझ का अंतर हो सकता है।

देह देहरी पार काव्य संग्रह को अलग-अलग छोटे भागों में बांटकर, विभिन्न भावों को विषयों के माध्यम से अभिव्यक्त किया गया है। इसमें विभिन्न कविता के जरिए देह के अलग-अलग अर्थों को कवियत्री ने अभिव्यक्त करने का सार्थक प्रयास किया है। इसके साथ ही देहरी और पार की कविताओं में संबंधित भावों को कविताओं के माध्यम से प्रस्तुत किया है। प्रत्येक कविता और उसके भाव देह, उसकी परिकल्पनाओं और प्रेम में गुंथे हुए हैं।
 
देह का मतलब प्रेम... प्रेम असीमित, अपारावर और जीवन को सुंदर बनाने वाला एक ऐसा गुण है, जो कभी गलत नहीं हो सकता। 
देह मतलब उदासी....प्रेम एक ऐसा रसायन है, जो एक दफा खून में घुल जाए तो बस क्रिया और प्रतिक्रिया का बवंडर मचाता है। और इसके न होने की स्थिति में जो पीड़ा हो, उसके लिए शब्द कहां मिले...। 
देह मतलब पीड़ा ... बहुत सारे दुख, बहुत बार जीवन में फिर फिर उभर आते हैं, सताते हैं और हमारा मन... भावों से उस पर पार जा, उन्हें गहराई से नापता है।
देह मतलब जियो जिंदगी लबरेज... बेहद सुकून मिलता है जब जिंदगी हमारे सोचे मकाम तय करने लगती है... उस उड़ान  की परवाज में ही जैसे पुसुकून कशिश नजर आती है...मंजिलें मिले न मिले कोई फिकर नहीं, 
 
देहरी - वह संधिकाल जब अनंत संभावनाओं के चलते मन किसी हिंडोले-सा डोलता यह भी चाहता है और वह भी...अक्सर वह सब कुछ करना चाहता है जो सीमाओं से परे जा वर्जनाओं को भुलाकर सुखद ए‍हसास देता हो। स्वयं की सच्चाई को सिद्ध करने के लिए वो नित नई देहरी नाप, पुरातन को पीछे धकेलता है।
 
पार - मन में जब प्रेम, प्राप्ति न होकर आराध्य हो जाता है, तो सिर्फ इतना ही कह पाता है ... मैंने तुम्हें हर जगह पाया... ।
 
भाषा के मामले में किसी एक प्रकार पर ही निर्भर न रहते हुए, हिन्दी, उर्दू और आम बोल-चाल के शब्दों को भरपूर प्रयोग किया है, जिससे रचनाओं में विभिन्नता के साथ-साथ आकर्षण भी बना हुआ है। हर कविता अपने आप में अलग है, लेकिन प्रेम की महक बिल्कुल एक सी है। यहां देह देहरी पार और प्रेम को प्रकृति के साथ जोड़ते हुए कवियत्री ने मौलिकता प्रदान की है। अंत  तक आते-आते प्रेम का आराध्य हो जाना, भावों के स्तर को उत्कृष्टता प्रदान करता है। कवियत्री ने संवेदनशीलता को बारीकी से कागज पर उतारा है। 
 
देह, देहरी पार, सामान्य भाषा में लिखा गया रोचक काव्य संग्रह है, जो पाठकों को बांधे रख सकता है। कई भावों, संवेदनाओं और अर्थों को समेटे यह काव्य संग्रह गहराई तक पैठ करता है। कहीं रूहानी करता है, तो कहीं-कहीं पर सोचने पर भी मजबूर करता है। 
 
पुस्तक : देह, देहरी पार 
लेखिका : स्वाति पांडे नलवाड़े 
प्रकाशक : हिन्द युग्म 
मूल्य : 115 रुपए 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

सर्दी में सेहत की सुरक्षा करेंगी, 5 चीजें