Ramcharitmanas

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

प्रकृति से दूरी हमें कृत्रिमता की और ले जा रही है। डायरी लेखन विधा को पुनर्जीवित किया है इंदु पाराशर ने- डॉ. विकास दवे

मुखर और गंभीर कविताओं का संग्रह है इंदु पाराशर का यह काव्य संग्रह- राकेश शर्मा

Advertiesment
हमें फॉलो करें Doctor Vikas Dave
इंदौर। 25 नवंबर, 2023 शनिवार को मध्य भारत हिंदी साहित्य समिति, इंदौर में अपराह्न तीन बजे वामा साहित्य मंच के बैनर तले वरिष्ठ लेखिका व कवियत्री की डायरी "रिश्ते मोती हो गए" व काव्य संग्रह "प्रकृति रहें निज प्रकृति में "का विमोचन हुआ। मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ. विकास दवे की अध्यक्षता, प्रतिष्ठित साहित्य पत्रिका वीणा के संपादक राकेश शर्मा व निदेशक हथकरघा पंचकन्या डॉ. समीक्षा नायक के मुख्य आतिथ्य में कार्यक्रम का गरिमामय आयोजन हुआ।
 
वामा साहित्य मंच के बैनर तले हुआ वामा अध्यक्ष,वरिष्ठ लेखिका इंदु पाराशर की दो किताबों "मेरी डायरी..रिश्ते मोती हो गए और "प्रकृति रहें निज प्रकृति में "का भव्य विमोचन..
 
पुस्तक मेरी डायरी (रिश्ते मोती हो गए) पुस्तक में संयुक्त परिवार के विखंडन के द्वार पर खड़े इस युग में इन कविताओं के द्वारा साहित्य के माध्यम से भारतीय संस्कृति और परंपराओं की पुनर्स्थापना, रिश्तों की प्रगाढ़ता और जीवन में सुख और शांति की भारतीय संकल्पना के प्रतिस्थापन का महती कार्य सिद्ध होता है। वहीं दूसरी पुस्तक "प्रकृति रहे निज प्रकृति में" प्रकृति के अद्भुत सौंदर्य, मानव द्वारा रचित प्रकृति पर मंडराते खतरे, प्रदूषण, आदि से प्रकृति का संरक्षण एवं प्रकृति की प्रकृति को परिवर्तित करने की कोशिश में उत्पन्न हुए कोरोना जैसे महारोग के बारे में चर्चा की गई है, एवं प्रकृति की प्रकृति को अक्षुण्ण बनाए रखने की प्रार्थना की गई है।
 
सरस्वती वंदना दिव्या मंडलोई द्वारा की गई। डॉ. पंकज पाराशर ने शब्द सुमन से स्वागत किया। अतिथि स्वागत सुरेश पाराशर, डॉ. पंकज पाराशर, डॉ. अंकिता पाराशर ने किया। इस अवसर पर तीन छोटे बच्चो मितांशी, शौर्य और पंखुड़ी ने किताब से कुछ रचनाएं पढ़ीं। मुख्य पुस्तक चर्चाकार डॉ. समीक्षा नायक ने अलग अलग उद्धरण के द्वारा कहा कि जन्म से मृत्यु तक प्रकृति हमेशा हमारे साथ रहती है। प्रकृति के संरक्षण पर पुस्तक में अनेक कविताएं हैं जो बेहतर समाज निर्माण के लिए प्रेरित करती है। 
 
विशेष अतिथि राकेश शर्मा जी ने अपने वक्तव्य में कहा कि इंदु जी की कविताएं चौंकाती है। उनकी सृजित हर कविता मुखर है। छंद कविताओं का वस्त्र है, वर्तमान समय को छंद में रख दिया है इंदु पराशर ने। 
 
इस मौके पर डॉ. विकास दवे जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमारे संस्कार और संस्कृति में प्रकृति के लिए आकर्षण है। हमारे कण कण में प्रकृति है। इनके प्रतीक हमारे व्यक्तित्व में समाहित है। दूसरी पुस्तक की चर्चा करते हुए कहा कि अंतिम और निकटतम रिश्तेदार सी होती है डायरी। रिश्तों की डायरी बहुत महत्वपूर्ण होती है।
 
आभार डॉ. अंकिता पाराशर ने माना। कार्यक्रम का संचालन डॉ. बबीता कड़किया ने किया।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

भांजियों के मामा, बहनों के भाई शिवराज को अगर मध्‍यप्रदेश का ‘मोदी’ कहें तो क्‍या गलत होगा?