खेल लेखन एवं समीक्षा के क्षेत्र के परिचित हस्ताक्षर सूर्यप्रकाश चतुर्वेदी पहले भी भारतीय क्रिकेट व क्रिकेटरों पर अपनी कलम चला चुके हैं। उनकी आठवीं व ताजा-तरीन किताब 'हमारे कप्तान, नायडू से धोनी तक' राजकमल प्रकाशन के माध्यम से हमारे सामने है। भारत का अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट इतिहास अंतरराष्ट्रीय मैदानों पर 78 वर्ष गुजार चुका है तथा टेस्ट टीम की बागडोर अब तक 31 खिलाड़ी संभाल चुके हैं।
इन कप्तानों में बल्लेबाज तो हैं ही, गेंदबाज, ऑलराउंडर व विकेटकीपर भी शामिल हैं। लेखक ने 160 पृष्ठीय इस किताब में 11 भिन्न प्रवृत्तियों वाले कप्तानों को स्थान दिया है। 'टीम से सौ फीसद अच्छा प्रदर्शन कराने की क्षमता और सबको साथ लेकर सम्मिलित जिम्मेदारी व प्रयास के लिए प्रेरित करने की खूबी ही इस चयन का आधार रहा है' (लेखकीय दृष्टिकोण)। इस ठोस, संयमित व धैर्यशील तर्क की कसौटी पर कर्नल नायडू से लेकर धोनी तक 11 कप्तान लेखक ने कसे हैं।
कप्तानी क्या है? अच्छा कप्तान कौन हो सकता है? ऐसे प्रश्नों को सामने रखते हुए लेखक ने यह निष्कर्ष निकाला है कि 'कप्तानी एक अलग ही कौशल या गुण है, जो किसी में होता है तो किसी में नहीं होता। कप्तानी कोई सर्वमान्य नुस्खा नहीं है और न ही कोई ऐसा फॉर्मूला है जिसकी मदद से अच्छा कप्तान तैयार किया जा सके।' किताब में शामिल व समीक्षित कप्तानों को लेकर हम यही धारणा बना सकते हैं।
गावस्कर व कपिलदेव जहाँ टीम को सुरक्षित बनाए रखने के लिए रणनीति बनाते थे तथा गहराई में जाते हुए अतिरिक्त सुरक्षात्मक बनते जाते थे, वहीं कर्नल नायडू, मंसूर अली खान पटौदी, अजहर या सौरव गांगुली सुरक्षा की दीवार तोड़ आक्रामक बनने में विश्वास करते थे कि शायद इसी बहाने जीत मिल जाए। चयनित 11 कप्तानों की कप्तानी कला के साथ-साथ उनका क्रिकेट करियर भी चलता रहता है, अतः पढ़ते वक्त बोझिल नहीं होती किताब। अलबत्ता पुनरावृति दोष कहीं-कहीं झलकने लगता है।
कप्तानों पर लेखकीय नजरिए का निष्कर्ष कुछ इस तरह से सामने आता है कि कर्नल नायडू क्रिकेट की बारीकियों व प्रतिस्पर्धी टीम को परखने की क्षमता रखने वाले आक्रामक कप्तान थे, तो लाला अमरनाथ चतुर, चालाक कप्तानी के कारण सुर्खियों में रहने वाले। पटौदी ने भारतीय टीम को टेस्ट जीतने की आदत डलवाई तो वाडेकर भाग्यवान व सफल कप्तान थे किंतु चतुर, चालाक रणनीतिकार नहीं।
गावस्कर पहल करने वाले नहीं रहे तो कपिलदेव की खिलाड़ी के रूप में आक्रामकता उनकी कप्तानी में दिखाई नहीं दी। बेदी सामान्य से हटकर कुछ करने वाले रहे तो अजहर व सौरव सफल तथा अच्छे कप्तान। राहुल द्रविड़ मानसिक रूप से दृढ़ एवं धोनी एकदम शांत व संयमित बने रहने वाले कप्तान। ऐसे सूक्त वाक्यों को पढ़ने के लिए ही चतुर्वेदीजी की किताब पढ़ी जा सकती है।
पुस्तक : 'हमारे कप्तान, नायडू से धोनी तक' लेखक : सूर्यप्रकाश चतुर्वेदी प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रालि, 1-बी, नेताजी सुभाष मार्ग, नई दिल्ली-110002 मूल्य: 250 रुपए।