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जिंदगीनामा एक जीनियस का

वास्तविक जीवन के करीब की कहानियाँ

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दिनेश कुमा
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अपने अनुभव जगत में शामिल सामान्य लोगों के जीवन की घटनाओं को संजीदगी से सँजो दिया जाए तो वह एक सुंदर कहानी का रूप ले लेती है। सुपरिचित कवि-कथाकार प्रकाश मनु की अधिकांश कहानियाँ इसी बात को प्रमाणित करती हैं। इन कहानियों के पात्र कहानी के कम और वास्तविक जीवन के अधिक लगते हैं। यही कारण है कि ये कहानियाँ बहुत जल्दी पाठकों से अपना एक आत्मीय रिश्ता बना लेती हैं।

आम आदमी का जीवन और उसका संघर्ष रचनात्मकता के लिए कितना संदर्भवान हो सकता है, यह प्रकाश मनु की कहानियों को पढ़कर बखूबी समझा जा सकता है। उनकी चर्चित और चुनिंदा कहानियों का यह संग्रह 'जिंदगीनामा एक जीनियस का' यह रेखांकित करता है कि अपने आस-पास के जीवन के साथ संवेदनात्मक रिश्ता कायम करके भी अच्छी कहानियाँ लिखी जा सकती हैं, इसके लिए बहुत दूर तक जाना अनिवार्य नहीं है।

इस संग्रह में कुल नौ कहानियाँ हैं और अंत में लेखक ने 'एक कहानी यह भी' शीर्षक के अंतर्गत अपनी लेखनी के सफर का काफी लंबा-चौड़ा विवरण दिया है। इस विवरण को एक तरह से लेखक की संक्षिप्त आत्मकथा भी कह सकते हैं। हालाँकि इस विवरण से ही पता चलता है कि लेखक की सर्वाधिक बलवती इच्छा अपनी एक आत्मकथा लिखने की है। इन कहानियों से प्रकाश मनु का लेखकीय और कुछ हद तक निजी, दोनों व्यक्तित्व उभरकर आते हैं।

इस संग्रह की कहानियों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि ये कहानियाँ अलग-अलग भी हैं और इनमें एकसूत्रता भी है। संग्रह की पहली कहानी 'रंगी बाबू का रिक्शा' एक ऐसे रिक्शेवाले की कहानी है जो ताउम्र रिक्शा चलाकर मेहनत और ईमानदारी की कमाई खाता है और अवसर सुलभ होने के बावजूद एक पल के लिए भी अपने आदर्शों से नहीं डिगता।

एक अन्य कहानी 'टैक्सी ड्राइवर रामलाल दुआ की सच्ची कहानी' एक ऐसे टैक्सी ड्राइवर की कहानी है जो अपने स्वाभिमान के लिए पैसे वाले बाप के घर को छोड़कर अंततः टैक्सी चलाकर अपना गुजारा कर रहा है। संग्रह की 'वह बूढ़ा' कहानी हमारे समय की वह क्रूर सच्चाई सामने लाती है जिसमें पढ़ाई-लिखाई के बाद बच्चे अपने पिता के दूर जा बसते हैं और घर में पिता अकेला रह जाता है।

संग्रह की शीर्षक कहानी 'जिंदगीनामा एक जीनियस का' देश और समाज की समस्याओं के प्रति अतिसंवेदनशील उन पढ़े-लिखे व्यक्तियों की कहानी है जिन्हें लगभग पागल मान लिया जाता है। इस कहानी में लेखक ने करुणा और मार्मिकता उत्पन्न करने में पर्याप्त सफलता पाई है। इस संग्रह की दो अन्य कहानियाँ 'सुकरात मेरे शहर में' और 'कलानगरी में एक ड्रामा' अराजक और अमानवीय हो चुकी साहित्यिक दुनिया की भयावहता उजागर करती हैं जिसमें एक सच्चा और ईमानदार लेखक अंततः पागल हो जाता है क्योंकि इस दुनिया में पहचान के लिए लेखकीय दक्षता से अधिक दूसरी तरह की प्रतिभाओं की जरूरत होती है।

इस संग्रह की अधिकांश कहानियाँ रेखाचित्रात्मक हैं और इनमें अनुभव की गहराई भी है। यही कारण है कि ये कहानियाँ मन पर एक प्रभाव छोड़ती हैं और याद भी रह जाती हैं लेकिन इन कहानियों में जितनी अनुभव की गहराई है उतनी विचार की गहराई नहीं है। इस अभाव के कारण ये कहानियाँ मन को छूती तो हैं लेकिन इसके बावजूद महत्वपूर्ण या उल्लेखनीय नहीं बन पातीं। फिर भी ये कहानियाँ अपने एक खास क्षेत्र में पूरी तरह सफल हुई हैं।

पुस्तक : जिंदगीनामा एक जीनियस का
लेखक : प्रकाश मनु
प्रकाशन : रचनाकार प्रकाशन
मूल्य : 180 रुपए

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