-नूपुर दीक्षित
सुधा मूर्ति की किताब ‘वाइज एंड अदरवाइज’ दिल से लिखी गई किसी डायरी की तरह लगती है। सुधा मूर्ति ने अपने रोजाना के अनुभवों को सरल भाषा में छोटी-छोटी कहानियों के रूप में लिखा है। अँगेजी के इस कहानी संग्रह की भाषा सरल और सहज है।
कर्नाटक के एक छोटे शहर हुबली की लड़की से टाटा फर्म की इंजीनियर और इंजीनियर से शिक्षक बनकर, एक सॉफ्टवेयर साम्राज्य के स्थापित होने की साक्षी रही सुधा मूर्ति ने जीवन के कई रंगों को देखा है।
यही रंग ‘वाइज एंड अदरवाइज’ में नजर आते हैं। एक कहानी में गुजरात में भूकंप आने के बाद वहाँ पर रहने आए एक भिखारी के घरौंदे का वर्णन है, जहाँ मिनरल वॉटर पीते हुए भिखारी की बेटी भूकंप को अपने लिए वरदान बताती है। उड़ीसा प्रांत का एक छोटा-सा लड़का पाँच रुपए का महत्व बताता है। स्वतंत्रता दिवस समारोह से ऊब चुके स्कूल के प्रधानाध्यापक इस दिन को पूर्ण अवकाश घोषित करने के बात कहते हैं। लैप्रोसी से पीडि़त निर्वस्त्र वृद्धा से मुलाकात का प्रसंग और सरकारी अस्पताल में दाखिल दहेज की आग में झुलसी युवती की जिजीविषा से पाठक समानुभूति महसूस करते हैं।
इस कहानी संग्रह की सभी कहानियाँ केवल मर्मज्ञ या जीवन के नकारात्मक पहलू पर केंद्रित नहीं हैं। इसकी कहानियों में सकारात्मकता और मनोरंजन भी है। इसमें विदेशी धरती पर रात के समय औरत से केवल आधा किराया लेने वाले टैक्सी ड्राइवर का वर्णन है, कम्प्यूटर के बारे में कुछ ना जानने वाले व्यक्ति का नाम देश के सफल प्रोग्रामर में शामिल होने का वर्णन है। सॉफ्टवेयर क्रांति का मैरिज ब्यूरो की महिलाओं द्वारा मनोरंजक विश्लेषण और सिरदर्द देकर दर्दनाशक बाम बेचने वाली सेल्सगर्ल का प्रसंग भी है।
इस कहानी संग्रह को पढ़ने के दौरान पाठक देश के अंदरूनी गाँवों से लेकर विदेशी धरती तक का सफर तय करते हैं। इसमें कार्पोरेट दफ्तर से लेकर खोमचे वालों से पाठकों का साक्षात्कार होता है। इन कहानियों में झूठ और बेईमानी की हद पार कर अपने पिता को असहाय बताकर वृद्धाश्रम में दाखिल करवाने वाला पुत्र है तो छुट्टी के महीनों में पढ़ाई पर पैसे खर्च न होने की दशा में छात्रवृत्ति को पूरी ईमानदारी से लौटाने वाला युवक भी है।
इस कहानी-संग्रह में जीवन के सारे रंग, मानवीय संवेदनाएँ और जिंदगी की व्यवहारिकता सबकुछ शामिल है, जो साहित्यप्रेमियों के अलावा आम लोगों को भी जरूर पसंद आएगी।
पुस्तक- वाइज एंड अदरवाइज
लेखक- सुधा मूर्ति
मूल्य- 150
प्रकाशक- पेंगुइन