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नृपेंद्र गुप्ता
संगीत खुशी का प्रतीक है। उसकी लय-ताल पर आदमी झूमता चला जाता है। संगीत सुनते समय न वक्त का भान रहता है, न ही ध्यान इधर-उधर भटकता है। लेकिन इस पुस्तक में लेखक ने एक नए संगीत से साक्षात्कार कराया है। ऐसा संगीत जो कर्कश है। उसे सुनने से तकलीफ होती है, कोई इस संगीत को सुनना नहीं चाहता, हर कोई इससे भागना चाहता है।इंदुप्रकाश कानूनगो ने विश्व साहित्य से 14 लेखकों की 24 छोटी-छोटी कहानियाँ चुनकर एक ऐसा गुलदस्ता तैयार किया है जिसमें दुख का रंग दिखाई देता है और टीस महसूस होती है। काफ्का, मोपासां, नाबोकोव आदि विश्व प्रसिद्ध लेखकों की रंगभेद पर आधारित यह कहानियाँ नीग्रो लोगों पर हुए अत्याचारों का अहसास कराती है।अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, रूस और चेक साहित्यकारों द्वारा लिखी गई 20वीं सदी की श्रेष्ठ कहानियों का यह संकलन पाठकों को नीग्रों समुदाय के साथ गोरों के व्यवहार को लेकर आंदोलित करता है। |
संगीत खुशी का प्रतीक है। उसकी लय-ताल पर आदमी झूमता चला जाता है। संगीत सुनते समय न वक्त का भान रहता है, न ही ध्यान इधर-उधर भटकता है। लेकिन इस पुस्तक में लेखक ने एक नए संगीत से साक्षात्कार कराया है। |
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रिचर्ड राइट की 'बबुआ घर छोड़ कर चला गया' में बबुआ जिन परिस्थितियों में खून करता है और बाद में जिस तरह वह भागता है, उससे उसके प्रति सहानुभूति का भाव उत्पन्न होता है। 'मिस्टर ग्रिन को ढूँढते हुए', 'पावरहाउस', और 'वापसी उड़ान' जैसी कहानियाँ संग्रह को विविधता प्रदान करती है।
'मुझ जैसे काले की ओर' में नायक की छटपटाहट ऐसा अहसास देती है जैसे कोई िचड़िया बाज के चंगुल में फँस गई हो। गाड़ी में लिफ्ट लेकर बैठा नायक गाड़ी चालक की हाँ में हाँ जरूर मिलाता है, मगर उसके चेहरे से उसकी छटपटाहट साफ नजर आती है। गाड़ी से उतरने के बाद नायक का संतोष भी अच्छा लगता है।
नीग्रो लोगों के जीवन पर सूक्ष्मता से प्रकाश डालती इस पुस्तक से पाठक पहली कहानी से ही जुड़ जाता है। अनुवाद बहुत अच्छा है, शब्द चयन से इस बात का आभास भी नहीं होता कि यह अनुदित पुस्तक है। काफ्का, मोपासां और नाबोकोव जैसे विश्वस्तरीय लेखकों को एक ही पुस्तक में पढ़ना रोमांचित करता है।
पुस्तक उस दौर की व्यवस्था पर जमकर प्रहार करती है। एक थीम विशेष पर किया गया बेहतरीन संग्रहण है 'दुख का संगीत'। इसकी लय और ताल दोनों पाठक को अपनी और खिंचती है।कहा भी गया है कि हर दिल को छू लेने वाला संगीत दुख से ही उत्पन्न होता है।
पुस्तक : दुख का संगीत
अनुवाद : इंदु प्रकाश कानूनगो
मूल्य : 75 /-
प्रकाशक : संवाद प्रकाशन, मेरठ