पुनर्जन्म का समीक्षात्मक अध्ययन
पुनर्जन्म पूरब का एक अपूर्व सिद्धांत है। जीवन की पुनुरुक्ति के विषय में भारत में जन्मे सारे धर्म राजी हैं। डॉ. ब्रजबिहारी निगम की 'पुनर्जन्म का समीक्षात्मक अध्ययन" पुनर्जन्म के विषय को लेकर एक शोधपरक पुस्तक है। इसमें भारतीय इतिहास और दर्शन का गहन विश्लेषण है। 12 अध्यायों में विभाजित इस पुस्तक में बिंदुवार विभिन्न विषयों को समझने का प्रयास किया गया है जिसमें डॉ. निगम की गहरी दार्शनिकता के दर्शन होते हैं। '
हे अर्जुन मेरे और तेरे अनेक जन्म हो चुके हैं। तू उन सबको नहीं जानता किन्तु मैं जानता हूँ।' ऐसे ही अनेक उद्धरण पुस्तक में मिलते हैं, जिनसे पुनर्जन्म के विषय में पाठकों की अभिरुचि को व्यापक आधार मिलता है। लेखक ने पुनर्जन्म के समीक्षात्मक अध्ययन के बहाने बौद्धिक जिज्ञासाओं को शांत करने की कोशिश की है। इस पुस्तक में भारतीय इतिहास का बदलता क्रम सुनियोजित भाषा में प्रस्तुत है। भाषा को सामान्य तो नहीं कहा जा सकता है लेकिन उसमें एक प्रवाह है जो पाठक को शुरू से अंत तक बाँधे रखती है। इसमें पुनर्जन्म की अवधारणा, इतिहास, सिद्धान्त, कर्म की अवधारणा और भगवद्गीता सहित विभिन्न उपनिषदों में व्याख्यायित जन्म, कर्म, वर्ण इत्यादि विषयों का विशद विवेचन है। अंतिम अध्याय इन सभी विषयों का एक समीक्षात्मक अध्ययन करता है। लेकिन अंततः बात वहीं पर रुकती है कि जीवन और उसके रहस्यों को पुस्तकों में नहीं बाँधा जा सकता है। पुनर्जन्म को विभिन्न भारतीय दर्शन के साथ, पुनर्जन्म के विषय में घटी कहानियों के माध्यम से एक जगह सुलभ कराने का प्रयास लेखक ने किया है। लेखक ने निष्कर्षात्मक रूप में यह बात कही है 'यह प्रश्न बेमानी है क्योंकि पुनर्जन्म विश्वास का क्षेत्र है। यदि आपका विश्वास है, तो है, नहीं है, तो नहीं।' अंततः यही कहा जा सकता है कि पुनर्जन्म का सिद्धांत मनुष्य की आशा का विस्तार है। यह विश्वास मरते हुए भारतीय के लिए मृत्यु को नकारने का आधार बन गया पर मृत्यु अटल रही। हाँ, भारतीयों ने जरूर कभी इन सिद्धांतों पर मात्र विश्वास ही नहीं किया, बल्कि इन्हें जिया भी था और जाना भी था।पुस्तक : पुनर्जन्म का समीक्षात्मक अध्ययन लेखक : डॉ ब्रजबिहारी निगम प्रकाशक : श्री कावेरी शोध संस्थान, 34/3, केशव नगर, हरिराम चौबे मार्ग उज्जैन (म.प्र.) मूल्य : 150 रुपए।