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प्रेम और साहित्य का पाठ पढ़ाते पत्र

धर्मवीर भारती के पत्र, पुष्पा भारती के नाम

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संजीव ठाकु
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आम लोगों की तुलना में साहित्यकारों, कलाकारों, राजनेताओं आदि के पत्रों का साहित्यिक और ऐतिहासिक महत्व अधिक होता है, इस वजह से इनके पत्रों के संकलन और प्रकाशन की प्रकृति प्रायः पूरी दुनिया में देखी जा सकती है। सुप्रसिद्ध साहित्यकार धर्मवीर भारती के द्वारा पत्नी पुष्पा भारती के नाम लिखे गए पत्रों की किताब इसी प्रवृत्ति का ताजा परिणाम है।

इस किताब की भूमिका के मुताबिक धर्मवीर भारती ने पुष्पा जी को एक हजार से भी ज्यादा पत्र लिखे थे। शुरू में वह पत्रों को पढ़कर फाड़ देती थीं लेकिन बाद में उन्हें सहेजकर रखने लगीं। उनमें से चुनकर दस लंबे पत्र इस किताब में प्रकाशित किए गए हैं। इन पत्रों का चुनाव इस उद्देश्य से किया गया है कि ये साहित्य के विद्यार्थियों के लिए बहुत लाभप्रद हो सकते हैं।

पत्रों की साहित्यिकता पर प्रश्न चिह्न नहीं लगाया जा सकता। इनमें धर्मवीर भारती अपनी उस भाषा के साथ उपस्थित है जिसके लिए वे जाने जाते हैं। इन पत्रों में वे अपने उस प्रेमिल हृदय के साथ भी उपस्थित हैं जिसकी अभिव्यक्ति उनके 'गुनाहों के देवता' जैसे उपन्यास में हुई है। जिस आत्मीयता, लगाव, दुलार, समर्पण आदि भावों में डूबकर भारतीजी ने ये पत्र लिखे हैं, वे पत्नी से बाहर प्रेम खोजने वाले साहित्यकारों-कलाकारों के लिए आँखें खोलने का काम कर सकते हैं।

पत्नी के लिए तरह-तरह के संबोधन, उनकी पढ़ाई, काम, आराम आदि की चिंता से भरे ये पत्र एक ओर जहाँ प्रेम की कई छवियाँ दिखलाने वाले हैं वहीं दूसरी ओर बहुत से साहित्यिक मनोवैज्ञानिक सिद्धांत सिखलाने वाले भी। इसी दूसरे अर्थ में ये साहित्य के विद्यार्थियों के लिए लाभप्रद हैं। इन पत्रों से साहित्य के वे विद्यार्थी लाभान्वित हो सकते जो पीएचडी की तैयारी कर रहे हैं। इसकी रूपरेखा बनाने और उसे विस्तार देने की पूरी प्रक्रिया इन पत्रों में दे दी गई है।

साहित्य के वे विद्यार्थी भी इनसे लाभान्वित हो सकते हैं जो फ्रायड और युंग के मनोविश्लेषण की अवधारणा को ठीक-ठीक नहीं समझ सके हैं। उन दिनों पीएचडी की तैयारी कर रहीं पुष्पाजी को फ्रायड और युंग का पाठ भारती जी ने इतने आसान तरीके से इन पत्रों में समझाया है कि आज भी कोई इन्हें पढ़कर उन सिद्धातों को आसानी से समझ सकता है। चाहे तो विद्वान प्राध्यापकगण भी इसका लाभ उठा ले सकते हैं।

पुस्तक : धर्मवीर भारती के पत्र, पुष्पा भारती के नाम
संकलन : पुष्पा भारती
प्रकाशक : भारतीय ज्ञानपी
मूल्य : 100 रुपए

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