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फिर दर्द दे रहा है हैरी के माथे का निशान...

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- स्वाति शैवाल

कुछ देर से सही, पर हैरी पॉटर श्रेणी की हिन्दी में अनुवादित चौथी किताब हाथ में आ गई है। हिन्दीभाषियों के लिए यह बात किसी खजाने से कम नहीं है क्योंकि जिस तरह मालवी के 'लालचट' और 'गोरेगट' का किसी भाषा में कोई तोड़ नहीं है उसी तरह अपनी भाषा में किसी कृति को पढ़ने का भी आनंद सबसे जुदा ही है। सुखद बात यह है कि हैरी पॉटर की चौथी किताब तक भाषा तथा अनुवाद में मूल कृति की आत्मा को नुकसान पहुँचाए बिना रोचक प्रस्तुति दी गई है।

हैरी अब 14 वर्ष का किशोर हो चुका है और अनजाने खतरों से जूझना जैसे उसकी आम जिंदगी का एक हिस्सा बन गया है। हॉगवर्ट्स के चौथे वर्ष का नया सत्र आरंभ होने से कुछ समय पूर्व हैरी के पास शानदार क्विडिच वर्ल्ड कप फाइनल मैच देखने का आमंत्रण है, वीजली परिवार की ओर से। रास्ते में फिर वही चिर-परिचित मुश्किल है, अंकल वरनॉन से इजाजत मिलने की। इसके साथ एक और चिंता है, हैरी का फिर दर्द से टीसता माथे का निशान, जो उसे लॉर्ड वॉल्डेमॉर्ट की देन है।

पिछली बार निशान जब भी दुखा था तब-तब वॉल्डेमॉर्ट उसके आसपास ही था और उससे उसकी भिड़ंत हुई थी। तो क्या इस बार भी...? खैर, तमाम नाटकीयताओं और भागदौड़ के बाद हैरी को मैच देखने की इजाजत मिलती है बड़े ही रोचक अंदाज में, छू पावडर और डडली की लंबी होती बैंगनी जबान की घटनाओं के बीच। वर्ल्ड कप कीधुन में हैरी कुछ समय के लिए दर्द और परेशानियों को भूल जाता है। बहरहाल...क्विडिच वर्ल्ड कप उतना ही रोमांचक है जितना हमारे लिए सॉकर या क्रिकेट का वर्ल्ड कप। सारे दर्शकों के लिए बाकायदा तंबुओं का इंतजाम है।

क्रिकेट की छक्का, चौका तथा अन्य नारेलिखी हुई तख्तियों की भाँति यहाँ भी तख्तियाँ हैं, पसंदीदा खिलाड़ियों के आकार के खिलौने हैं, शोर-शराबा है, सट्टा भी है और दर्शकों को लुभाने के अन्य तरीके भी। एक अजीब क्लाइमेक्स भरी जीत के साथ मैच तो खत्म हो जाता है लेकिन मैच के बाद अचानक रहस्यमयी परिस्थितियाँ उत्पन्ना होती हैं और आकाश में दिखता है- 'मौत का निशान।' निशान जिससे जुड़ा है एक भयानक रहस्य?

साल की शुरुआत से पहले ही जो आशंकाएँ हैरी को सपने में डरा रही हैं, उनका मतलब ढूँढने की कोशिश में वह और उलझता जाता है। हालाँकि उसने अपने असली गार्जियन यानी सीरियस ब्लैक से भी इस बारे में राय माँगी है और वह उसके संपर्क में पूरे समय रहता है। हॉगवर्ट्स में एक अजीब सुगबुगाहट है। न...न...गुप्त कलाओं से रक्षा के टीचर को लेकर नहीं वह तो चर्चा का विषय है ही, पर इस सुगबुगाहट में वो भी छुप-सा गया है। यह है एक अनूठा आयोजन 'त्रिकोणीय टूर्नामेंट' का, जिसके बारे में प्रिंसिपल डम्बलडोर के स्वागत भाषण में पता चलता है।

यह लगभग वैसा ही है जैसे हमारे कॉलेजों में होने वाले यूथ फेस्टिवल्स। इसमें जादूगरी के तीन विश्वविद्यालय भाग लेंगे और जो जीतेगा वह त्रिकोणीय टूर्नामेंट कप पाएगा। इसमें भाग लेने की पहली शर्त है- प्रत्याशी की उम्र का 17 वर्ष होना। जो भी भाग लेने का इच्छुक हो,उसे अपना नाम आग के प्याले में डालना होगा। 17 से कम के किसी बच्चे ने ऐसा करने की कोशिश की तो उसे पकड़ने के लिए डब्बलडोर ने कुछ पुख्ता इंतजाम भी किए हैं। जुड़वाँ भाई जॉर्ज तथा फ्रेड ऐसा करने की कोशिश में मजाक का विषय बन ही चुके हैं। अब हैरी की उम्र तो 14 वर्ष ही है। जाहिर है वह तो नाम डालने के बारे में सोच भी नहीं सकता... लेकिन यह क्या?

उसका नाम तो प्याले में से निकल आया। यह तो रहस्य है ही कि यह काम किसका है, लेकिन इससे भी बड़ी बात यह है कि एक बार नाम घोषित हो जाने के बाद आपको मुकाबला करना ही है, नतीजा चाहे जो भी हो। हैरी पर भी यह नियम लागू हुआ और बड़े अजीब हालात में वह बन गया इस स्पर्धा का चौथा प्रतिस्पर्धी। आगे उसके सामने आती हैं तमाम मुसीबतें और एक भयानक सच। जहाँ उसका एक बार फिर मौत से साक्षात्कार होने वाला है।

सबसे बड़ी बात, वही शख्स हैरी को धोखा देगा जिस पर हैरी अटूट विश्वास करने लगा था। कौन है वह? क्या हैरी उम्र कम होते हुए भी उन खतरनाक मुसीबतों से पार पा सकेगा? कौन बनेगा इस स्पर्धा का हीरो और विजेता? हैरी के सामने कौन से और राज आएँगे? कौन-कौन से दूसरे विवि इसमें भाग लेंगे और उनकी क्या विशेषताएँ होंगी? इन सब बातों का रहस्य किताब पढ़ने से खुलेगा।

सारी बातों के अलावा रोलिंग की यह चौथी पेशकश इस बार कुछ ज्यादा ही हमारी दुनिया के करीब भी है। किसी कमर्शियल मूवी की तरह इस बार इसमें तमाम मसाले हैं। नौजवान हैरी और रॉन सहित सारे लड़के व लड़कियों के लिए इस बार बाकायदा डांस पार्टी, डीजे और मित्रता के नए फॉर्मूले हैं जो पाश्चात्य संस्कृति के अभिन्ना अंग हैं तो अब भारतीय बच्चों के लिए भी नए नहीं हैं। इन सब कारणों से मामला थोड़ा फिल्मी लगता है, लेकिन ये चीजें मात्र मनोरंजन के लिए ही कथा का हिस्सा बनाई गई हैं, अतः कुछ समय बाद आप वापस रोमांचकजंग में लौट आते हैं। एक खास बात और भी, जो लोग यह कहते हैं कि हैरी की कहानी काल्पनिक है उन्हें एक बार इस पुस्तक को अवश्य पढ़ना चाहिए।

इसमें नाम और स्थान भले ही बदल दिए गए हों, लेकिन यहाँ चलने वाले घटनाक्रम हमें अपनी दुनिया से लगते हैं। जैसे एक आर्थिक रूप से कमतर परिवार का किसी साधनसंपन्न व्यक्ति द्वारा मजाक उड़ाया जाना, निम्नवर्गीय कामगारों के लिए किसी का आवाज उठाना और इस वजह से मजाक का पात्र बन जाना, सचाई की राह में दुष्ट व भ्रष्ट लोगों द्वारा बाधाएँ डालना तथा भरोसे व विश्वास को तोड़ने का काम करना। चाहे पात्र और वेशभूषा अलग हों, कहीं न कहीं इन घटनाओं में शायद रोलिंग का खुद का भोगा अनुभव भी झलकता है।

हम भारतीय अक्सर एक कहावत को कष्ट से गुजर रहे लोगों के समक्ष दोहराते हैं- 'ईश्वर उन्हीं की परीक्षा लेता है जिनमें परीक्षा देने की हिम्मत हो।' यह बात हैरी पॉटर पर भी पूर्णतया लागू होती है। हॉगवर्ट्स का चौथा वर्ष एक बार फिर हैरी के लिए ढेर सारी चुनौतियाँ तथा परीक्षा के दौर लेकर आया है। हर बार की तरह इस बार भी वह नहीं जानता कि इस बार क्या अनोखा होगा। जो भी हो, तनावयुक्त जीवन जी रही दुनिया में हैरी से इस एक बात की तो बहुत ज्यादा शिक्षा मिलती है कि जीवन में आने वाली अनजान मुसीबतों के आने पर घबराओ मत बल्कि पूरे विश्वास के साथ रण में कूद पड़ो, अंजाम की चिंता किए बिना। ईमानदारी, सचाई और साहस का साथ मत छोड़ो। अपने ऊपर पूरा विश्वास रखो और फिर देखो विजय अवश्य ही हासिल होगी।

* पुस्तक : हैरी पॉटर और आग का प्याला (हिन्दी)
* अनुवाद : डॉ. सुधीर दीक्षित
* प्रकाशक : मंजुल पब्लिशिंग हाउस प्रालि, 10, निशात कॉलोनी, भोपाल
* मूल्य : 250 रुपए

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