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बच्चों का स्वप्नलोक 'एलिस इन वंडरलैंड'

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- नीहारिका झा

एलिस जैसे काल्पनिक पात्र को जीवित करने वाले लुइस कैरोल की 'एलिस इन वंडरलैंड' एक प्रसिद्ध रचना थी, जिसका हिन्दी अनुवाद चारु चन्द्र पाठक ने इस उद्देश्य से किया है कि भारतीय बच्चे इसका लुत्फ उठा सकें। हिन्द पॉकेट बुक्स प्रकाशन की इस पुस्तक में एलिस के स्वप्नलोक का ताना-बाना बुना गया है।

यूँ तो यह पुस्तक खासतौर से बच्चों को ध्यान में रखकर लिखी गई है, लेकिन जिन अजीबोगरीब परिस्थितियों में एलिस फँसती है, वह बड़ों के मन में भी उतनी ही रोचकता और उत्सुकता पैदा करने वाली हैं। सारी घटनाएँ घटने के बाद जब यह राज खुलता है कि सारी चीजें सच नहीं, बल्कि एलिस का एक सपना है, वह और भी रोमांचित कर देता है।

एलिस जब खरगोश के पीछे अँधेरे गड्ढे में गिरकर एक अनोखी जगह पहुँच जाती है, तो ऐसा लगता है, जैसे हम भी उन अनोखे दृश्यों को आँखों के सामने घटता देख रहे हैं। एलिस की लंबाई का घटना-बढ़ना और विचित्र जानवरों से उसका मिलना मन में कौतूहल पैदा करता है कि कहीं सचमुच इस तरह का संसार अस्तित्व में तो नहीं। अनुवाद की भाषा पर नजर डालें तो उसमें काफी प्रवाह नजर आता है।

एक-एक घटना का चित्र काफी खूबसूरती से खींचा गया है। ऐसा महसूस होता जैसे अलग-अलग दृश्यों की पोट्रेट बनाई गई हो। जैसे एलिस का अपने ही आँसुओं के तालाब में तैरना, बकवास चाय-पार्टी में एलिस की शिरकत। एलिस की गर्दन की लंबाई सामान्य से ज्यादा बढ़ जाना। ऐसी ही कितनी घटनाएँ एलिस के साथ घटती है, जो कहीं से भी मनगढ़त नहीं लगती।

जिस तरह जे.के. रॉलिंग के हैरी पॉटर ने बच्चों में सनसनी फैला दी, वैसा ही असर एलिस के आश्चर्यलोक का भी पड़ा था। एलिस का किरदार बच्चों के बीच जीवंत हो उठा था। उसकी अनोखी दुनिया ने सबका मन मोह लिया था। उसकी शरारतें और बुद्धिमानी बच्चों को खूब भाती हैं। यह पुस्तक बच्चों को उस अनोखी दुनिया में ले जाएगी, जो उनके मन के किसी-न-किसी कोने में रहती है।

पुस्तक : 'एलिस इन वंडरलैंड'।
प्रकाशक :हिन्द पॉकेट बुक्स प्राइवेट लिमिटेड।
मूल्य : 50 रु.।

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