Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

लता और वृक्ष : रोमांचक उपन्यास

पुस्तक समीक्षा

Advertiesment
हमें फॉलो करें लता और वृक्ष : रोमांचक उपन्यास
दिनेश कुमार
ND
लता और वृक्ष क्रांति त्रिवेदी का मरणोपरांत प्रकाशित उपन्यास है। उनके अन्य उपन्यासों की तरह यह भी एक सामाजिक उपन्यास है जिसमें नारी जीवन, मानवीय प्रेम और करुणा की प्रधानता है। इस उपन्यास में लेखिका ने जीवन जगत के प्रति सवर्था साकारात्मक और आशावादी दृष्टिकोण का परिचय देते हुए यह दिखाया है कि सच्चाई और ईमानदारी के साथ कर्त्तव्य-पथ पर अग्रसर व्यक्ति को हर मोड़ पर कोई न कोई अच्छा मनुष्य मिल ही जाता है जिससे उसका जीवन-संघर्ष आसान हो जाता है और अंततः वह अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है।

क्रांति त्रिवेदी की लगभग सभी रचनाएँ आदर्शात्मक और कुछ हद तक शिक्षाप्रद भी होती हैं। इस उपन्यास को भी इसी संदर्भ में देखा जाना चाहिए।

लता और वृक्ष उपन्यास की पूरी कथा एक ईसाई अनाथालय की मिनी नामक लड़की के इर्दगिर्द बुनी गई है। मिनी का बचपन, अनाथालय की कर्त्ता-धर्ता मरियम अम्मा के अस्वस्थ होने के बाद छोटी उम्र में ही अनाथालय का पूरा काम काज संभालना, चोरी के झूठे आरोप में जेल जाना, वहाँ सुखबीर नामक युवक से भेंट, सुखबीर को मौत की सजा, अनाथालय की जरूरतों के लिए सुखवीर से एक तरह से झूठी शादी ताकि वह सुखबीर की संपत्ति का उत्तराधिकारी बन सके।

इसके बाद उसका पाकिस्तान से सिखों के दल के साथ भारत आना, यहाँ एक अन्य युवक महेंद्र से शादी की तैयारी और शादी के दौरान ही अचानक सुखबीर का प्रकट होना आदि जैसी अनेक रोमांचकारी घटनाएँ उपन्यास में भरी पड़ी हैं। इस लिहाज से लता और वृक्ष घटनाबहुल एक रोमांचकारी उपन्यास है।

घटनाओं की बहुलता और रोमांच दोनों के एक साथ मौजूद होने से उपन्यास अत्यंत पठनीय बन गया है। घटनाओं की इतनी भरमार के बावजूद क्रांति त्रिवेदी की लेखकीय सफलता और सामर्थ्य इस बात में दिखाई देती है कि उन्होंने कथा सूत्र को कहीं भी अपने हाथ से छूटने नहीं दिया है जबकि ऐसे उपन्यासों में विखराव की गुंजाइश अधिक रहती है।

लता और वृक्ष उपन्यास में एक के बाद एक घटनाएँ घटती जाती हैं और भेद खुलते जाते हैं। फिल्म की तरह इस उपन्यास में नाटकीय मोड़ आते हैं। फिल्म या धारावाहिक की दृष्टि से उपन्यास अत्यंत संभावनाशील है। इसमें घटनाएँ हैं, रोमांच है, रोचकता है और कहीं-कहीं जीवन-संघर्ष भी है लेकिन द्वंद्व और संघर्ष की चेतना लगभग अनुपस्थित है।

यही कारण है कि यह उपन्यास मुख्यधारा के हिंदी उपन्यासों में पूरी तरह फिट नहीं हो पाता है। बावजूद इसके इस उपन्यास का महत्व कम नहीं हो जाता क्योंकि हिंदी में इस तरह के उपन्यासों की बहुत जरूरत है जो एकदम लोकप्रिय और एकदम बौद्धिक, दोनों तरह की अतियों से बचते हुए पाठकों की साहित्यिक अभिरुचि और संस्कार को परिष्कृत करने में सहायक हो। अपनी सहज भाषा, यथार्थ और कल्पना का सुंदर मिश्रण और जबर्दस्त पठनीयता के कारण यह उपन्यास इस दृष्टि से बेजोड़ है।

पुस्तक : लता और वृक्ष
लेखिका : क्रांति त्रिवेदी
प्रकाशक : ग्रंथ अकादमी, नई दिल्ली
मूल्य : 200 रुपए

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi