Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

सामाजिक सरोकारों में बसा कहानी संग्रह 'घर-बेघर'

Advertiesment
हमें फॉलो करें सामाजिक सरोकारों में बसा कहानी संग्रह 'घर-बेघर'
WDWEBDUNIA
- नीहारिका झ

पेंगुइन बुक्स प्रकाशन का कहानी संग्रह 'घर-बेघर' में कुल 12 कहानियाँ हैं। कमल कुमार द्वारा रचित इन कहानियों में विषय की दृष्टि से काफी विविधता है। लेखिका दिल्ली में व्याख्याता के पद पर कार्यरत हैं।

इस संग्रह में काल्पनिक दुनिया का सहारा नहीं लिया गया है। कहानियों के विषय का ताना-बाना वास्तविकता के धरातल पर बुना गया है। कुछ कहानियों का वर्णन सच्चाई के इतने करीब है कि सारी घटना आँखों के सामने साक्षात दिखने लगती है। 'पूर्ण विराम' कहानी में जिस तरह से दंगों का वर्णन किया गया है, उसकी विभीषिका को दर्शाने के लिए जिन शब्दों का प्रयोग किया गया है, वो अंदर तक झकझोर कर रख देती है।

जीवन को जीने की उत्कंठा किसी में इस कदर हो सकती है, यह 'अपराजेय' कहानी के पात्र अमरनाथ के जरिए गढ़ने का प्रयास किया गया है। अगर कोई व्यक्ति जीवन से हताश होकर आत्महत्या जैसे कदम उठा लेता है, उनमें इस कहानी से एक नई जागृति पैदा हो सकती है। यह कहानी नहीं, बल्कि जीवन का सार है। सुख और दुःख जीवन के दो पहलू हैं, कोई अगर दुःख में भी सुख-सी अनुभूति करे तो उसका जीवन सफल हो जाता है। वह कभी हार नहीं सकता, अपराजेय होकर दुनिया से कूच करता है।

'घर-बेघर' कहानी में जीवन की जटिलताओं और उनसे उपजी विवशताओं का काफी अच्छा बखान किया गया है, जिसमें घर के रहते हुए भी व्यक्ति किस तरह बेघर हो सकता है, उसका सच्चा स्वरूप दिखता है। यह कहानी कहीं-न-कहीं युवाओं के देश से पलायन की भावना पर भी चोट करती हुई नजर आती है।

सारी विशेषताओं के बीच कहानी पर लेखिका की पकड़ कुछ ढीली नजर आती है। 'नालायक' कहानी में गोपी को श्रेष्ठ साबित करने की कोशिश में चीजें कहीं-कहीं अतिश्योक्ति तक पहुँच गई हैं। गोपी को अवतार के रूप में पेश करने का प्रयास किया गया है। इस बात में कोई दोराय नहीं कि माता-पिता की सेवा बच्चों का कर्त्तव्य है, लेकिन शिक्षा को दरकिनार करके केवल भावनाओं के सहारे सच्चाई बयां नहीं की जा सकती है। इस कहानी में एकपक्षीय निर्णय लेने की चेष्टा लेखिका ने की है।

अन्य कहानियों में 'जंगल', 'पाँच मिनट का मौन', 'काफिर' और 'मुझे माफ कर दो' भी वास्तविकता के करीब है। इनके अतिरिक्त 'पालतू', 'छतरियाँ', 'सखियाँ', 'गुड मार्निंग मिस' और 'काफिर' कहानियों में भी कमल कुमार ने अलग-अलग मुद्दों को गम्भीरता और शिद्दत के साथ प्रस्तुत किया है।

पुस्तक का नाम : 'घर-बेघर'
प्रकाशक : पेंगुइन बुक्स प्रकाशन

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi