विंडोज़ 2000 के साथ हिन्दी यूनिकोड फ़ॉन्ट के आते ही मानो इंटरनेट पर हिन्दी को पंख लग गए। पारंपरिक ट्रू–टाइप फ़ॉन्ट के बंधन समाप्त हो गए और अब हिन्दी यूनिकोड में लिखे पाठ को किसी भी कंप्यूटर पर वैसे ही देखा जा सकता था जैसे अंग्रेज़ी के पाठ के साथ संभव था। इसने हिन्दी की यात्रा को सरल, सहज और सुगम बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
यूँ तो यूनिकोड मानक पर काम 1991 में हुआ और अक्टूबर 1991 में यूनिकोड का पहला संस्करण 1.0.0 जारी किया गया जिसमें 9 भारतीय लिपियाँ देवनागरी, बंगाली, गुजराती, गुरुमुखी, तमिल, तेलुगू, कन्नड़, मलयालम तथा उड़िया शामिल की गईं। लेकिन लोगों के हाथों तक पहुँचने में इसे कई साल और लग गए। शुरुआती हिचक के कारण वेब पर इसके उपयोग में तो कुछ और साल लगे। हार्डवेयर जैसी तकनीकी दिक्कतें भी थीं। धीरे–धीरे वेबसाइट निर्माताओं को इसके फायदे समझ आने लगे और पारंपरिक फ़ॉन्ट आधारित वेबसाइटों का यूनिकोडीकरण शुरू हुआ। सन् 2005 के आसपास यह काम तेज़ी से चल रहा था।
आज हिन्दी की लगभग सभी वेबसाइटें यूनिकोड में हैं जिससे दुनिया के किसी भी कोने में किसी भी डिवाइस को लेकर बैठा व्यक्ति आसानी से हिन्दी के पन्ने खोलकर देख सकता है। यूनिकोड के ही कारण वेबसाइटों की सामग्री को खोज इंजन द्वारा ढूँढना संभव हुआ।
विश्व भर में हिन्दी का प्रचार-प्रसार करने के लिए अनिवार्य है कि इंटरनेट पर हिदी साहित्य को यूनिकोड में उपलब्ध कराया जाए – डॉ. अब्दुल कलाम