‘दीदी मुझे कोई जॉब नहीं करनी। मैं तो अपना घर बसाकर उसमें हाउस वाइफ की तरह रहना चाहती हूँ। आजकल अच्छे लड़कों को ऐसी लड़कियाँ चाहिए, जो फ्लुएंटली इंग्लिश बोल सके। बस इसलिए ही क्लास ज्वॉइन की है।’
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ऐसे एक या दो नहीं अनेक अनुभवों से हमें रोज ही गुजरना पड़ता है। हिन्दी और अँगरेजी के मिश्रण से तैयार भाषा ‘हिंग्लिश’ आज सर्वाधिक प्रचलन में है। आम लोगों की भाषा होने की वजह से इस हिंग्लिश को धीरे-धीरे अखबार और पत्रिकाएँ भी अपना रही हैं।
अभी हम हिन्दी दिवस या हिन्दी पखवाड़े के बहाने ही सही लेकिन शुद्ध हिन्दी को एक बार याद तो करते हैं। अगर हमारी भाषा और बोली इसी पटरी पर चलती रही तो हो सकता है कि आने वाले कुछ सालों में 14 सितंबर भी हिन्दी दिवस के स्थान पर हिन्दी डे के रूप में मनाया जाए और आने वाली पीढ़ी हिंग्लिश को ही अपनी मातृभाषा स्वीकार कर ले।