Hanuman Chalisa

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

भाषा और क्षेत्रीय बोलियों के प्रति सजगता

Advertiesment
हमें फॉलो करें Hindi Diwas 2016
webdunia

संजय वर्मा 'दृष्ट‍ि'

वर्तमान में इलेक्ट्रॉनिक युग में अंग्रेजी शब्दों को हिंदी में से निकालना बड़ा ही दुष्कर कार्य है। और हिंदी व्याकरण और वर्तनी का भी बुरा हाल है। कोई कैसे भी लिखे, कौन सुधार करना चाहता है, इस भाग दौड़ की दुनिया में शायद बहुत कम लोग ही होंगे, जो इस और ध्यान देते होंगे। जैसे कोई लिखता है कि - "लड़की ससुराल में "सूखी" है। सही तो यह है कि लड़की ससुराल में "सुखी" है। ऐसे बहुत से उदाहरण मिल जाएंगे। 


विधार्थियों को अपनी सृजनात्मकता, मौलिक चिंतन को विषयान्तर्गत हिंदी व्याकरण और वर्तनी में सुधार की और ध्यान देना होगा, ताकि निर्मित शब्दों का हिंदी में परिभाषित शब्द सही तरीके से व्यक्त कर/लिख सके। हिंदी भाषा त्रुटिरहित, मिलावट रहित होकर अपनी गरिमा बनाए रख सके। हिंदी के प्रचार-प्रसार हेतु हर लेखनीय कार्य हिंदी में ही अनिवार्य करना होगा, ताकि हिंदी लिखने की शुद्धता बनाई जा सके। 

इनके अलावा हमें क्षेत्रीय बोलियों पर भी ध्यान देना होगा। बोलियों के प्रति उदासीनता के चलते, आने वाले वर्षो मे कई बोलियां विलुप्ति की कगार पर जा पहुंचेगी। बोलियों को संरक्षण देने के जो भी प्रयास वर्तमान में किए जा रहे हैं, उनकी प्रगति धीमी है। कारण यह भी है कि क्षेत्रीय लोग ही अपनी-अपनी बोलियों में आपस में बात करने से पहरेज करने लगे हैं। उन्हें शायद ऐसा लगता है कि हमारा खड़ी बोली बोलने का स्तर इससे प्रभावित होगा।

कई जगह लोक परिषद् भी शब्दकोष, व्याकरण और अलंकारों को बढ़ाने एवं सहेजने का प्रयत्न कर रही है। इन्हीं प्रयासों से क्षेत्रीय बोलियों के विलुप्त होने का खतरा टल सकेगा। साथ ही नागरिकों की संस्कृति विशेष की पहचान भी बढ़ेगी। इनके अलावा बोलियों में बदलाव रुकेगा और मूल शुद्दता बरकरार रहेगी। बोलियों के द्वारा क्षेत्रीय बोलियों  को बढ़ावा देने  हेतु बोल चाल को बढ़ाना होगा तभी क्षेत्रीय बोलियों को विलुप्त होने से बचाया जा सकेगा।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

बहुआयामी प्रतिभा के धनी थे टैक्स गुरु सुभाषचन्द्र लखोटिया