लेख लिखा मैंने हिंदी में,
लिखी कहानी हिंदी में
लंदन से वापस आकर फिर,
बोली नानी हिंदी में।
गरमी में कश्मीर गये तो,
घूमें कठुआ श्रीनगर।
मजे-मजे से बोल रहे थे,
सब सैलानी हिंदी में।
पापा के संग गए घूमने,
हम कोच्ची में केरल के,
छबि गृहों में लगा सिनेमा,
'राजा जॉनी' हिंदी में।
बेंगलुरु में एक बड़े से,
होटल में खाना खाया।
सब लोगों ने ही मांगा था,
खाना, पानी हिंदी में।
उत्तर-दक्षिण, पूरब-पश्चिम,
में हिंदी सबको आती,
जगह-जगह पर हमने जाकर,
बातें जानी हिंदी में।
रोज विदेशी धरती से भी,
लोग यहां पर आते हैं।
उन्हें नमस्ते कहकर करते,
हम अगवानी हिंदी में।
अमर नाथ पहुंचा करते हैं,
तीर्थ यात्री दुनिया के,
बोला करते जय बाबा, जय,
जय बर्फानी हिंदी में।
उड़िया कन्नड़ आसमियां सी,
कई भाषाएं भारत में।
लेकिन सबको बहुत लुभाती,
बोली वाणी हिंदी में।
भारत के नेता जाते हैं,
कहीं विदेशी धरती पर,
देते रहते अक्सर भाषण,
अब तूफानी, हिंदी में।
मान यहां सब भाषाओं को,
पूरा-पूरा मिलता है।
लेकिन पढ़ने लिखने में तो,
है आसानी हिंदी में।
लेखक : प्रभुदयाल श्रीवास्तव (छिंदवाड़ा)
जन्म- 4 अगस्त 1944 धरम पुरा दमोह
प्रकाशित पुस्तकें :
दूसरी लाइन व्यंग्य संग्रह
बचपन छलके छल-छल-छल बाल गीत
बचपन गीत सुनाता चल बाल गीत
दादाजी का पिद्दू 22 बाल कहानियां
अम्मा को अब भी है याद 51 बाल कविताएं
मुठ्ठी में है लाल ग़ुलाल 121 बाल कविताएं
सतपुड़ा सप्तक साझा संकलन
दादाजी की मूछें लम्बी 22 बाल कविताएं
लगभग 80 स्कूली पाठ्यक्रम की किताबों में कविताएं कहानियां और नाटक शामिल।
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