Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

हिन्दी दिवस पर कविता : आज हिन्दी की तलब लगी मुझे

हमें फॉलो करें हिन्दी दिवस पर कविता : आज हिन्दी की तलब लगी मुझे
webdunia

डॉ. पूर्णिमा भारद्वाज

- डॉ. पूर्णिमा भारद्वाज
 
आज हिन्दी की 
तलब लगी मुझे
सुबह-औसारे
और चारों तरफ से आने लगी
एक प्याला सुहानी सुबह...
 
हां, हिन्दी में सोचने, और बोलने की तलब 
मांगती है 
उसके साथ
निश्चल अपनापन
और
गहरी आशिकी...
 
तो चारों ओर फैला
अंग्रेजी का बाज़ार
पूछता है बार-बार
कि आपकी हिन्दी लहलहाए
हर ओर छा जाए ,
तो क्या प्यार के बीज रोपे हैं आपने ,
कहीं गहरे ?
फिक्र से की है बुआई ?
और देकर खाद-पानी
क्या लगातार किया है उसका सिंचन
संवारा उसका जीवन?
या बस पूछते बरस में एक बार
कि वह अंखुआएं खुद से
और फैल जाए चहुं और
होकर अभिव्यक्त
घनेरे बरगद सी...
 
नहीं तो देखो,
अब भी भींच लो मुट्ठियां 
और कर लो पक्का मन 
कि हौसला नहीं होने दोगे पस्त
और हाथ थामे रहोगे
अपनी भाषा का 
किसी भी साज़िश के विरुद्ध
 
उसे जिलाए रखने के लिए
रहने दो ना बना
अपना इकतरफा आकर्षण
नतमस्तक समर्पण...
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

World First Aid Day : जानिए, कैसा हो आपका 'फर्स्ट एड बॉक्स'?