भारत को त्योहारों का देश कहा जाता है, यहां सभी समुदायों के लोग मिल-जुलकर भिन्न-भिन्न प्रकार के त्योहार एकसाथ मनाते हैं। दीपावली, होली, रक्षाबंधन की तरह ही क्रिसमस भी एक खास पर्व है। यह वैसे तो क्रिश्चियन समुदाय के लोगों का पर्व है, लेकिन अन्य धर्मों के लोग भी इसे मनाते हैं।
हर साल 25 दिसंबर के दिन क्रिश्चियन समुदाय के लोग क्रिसमस (Christmas Festival) का त्योहार मनाते हैं। यह ईसाइयों का सबसे बड़ा त्योहार है। इसी दिन प्रभु ईसा मसीह या जीसस क्राइस्ट का जन्म हुआ था इसलिए इसे 'बड़ा दिन' भी कहते हैं।
क्रिसमस के 15 दिन पूर्व से ही मसीह समाज के लोग इसकी तैयारियों में जुट जाते हैं। लगभग 1 सप्ताह तक छुट्टी रहती है और इस दौरान बाजारों की रौनक बढ़ जाती है। घर और बाजार रंगीन रोशनियों से जगमगा उठते हैं।
क्रिसमस के कुछ दिन पहले से ही चर्च में विभिन्न कार्यक्रम शुरू हो जाते हैं, जो न्यू ईयर तक चलते रहते हैं। मसीह गीतों की अंताक्षरी खेली जाती है, विभिन्न प्रकार के गेम्स खेले जाते हैं, प्रार्थनाएं की जाती हैं आदि।
ईसाई समुदाय के लोग इस दिन के लिए अपने घरों की सफाई करते हैं, नए कपड़े खरीदते हैं और विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाते हैं। इस दिन के लिए विशेष रूप से चर्चों को सजाया जाता है और प्रभु यीशु मसीह की जन्म गाथा को नाटक के रूप में प्रदर्शित किया जाता है। कई जगह क्रिसमस की पूर्व रात्रि गिरिजाघरों में रात्रिकालीन प्रार्थना सभा की जाती है, जो रात के 12 बजे तक चलती है।
ठीक 12 बजे लोग अपने प्रियजनों को क्रिसमस की बधाइयां देते हैं और खुशियां मनाते हैं। क्रिसमस की सुबह गिरिजाघरों में विशेष प्रार्थना सभा होती है। कई जगह क्रिसमस के दिन मसीह समाज द्वारा जुलूस निकाला जाता है जिसमें प्रभु यीशु मसीह की झांकियां प्रस्तुत की जाती हैं। सिर्फ ईसाई समुदाय ही नहीं, अन्य धर्मों के लोग भी इस दिन चर्च में मोमबत्तियां जलाकर प्रार्थना करते हैं।
क्रिसमस पर बच्चों के लिए सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र होता है सांताक्लॉज, जो लाल और सफेद कपड़ों में बच्चों के लिए ढेर सारे उपहार और चॉकलेट्स लेकर आता है। यह एक काल्पनिक किरदार होता है जिसके प्रति बच्चों का विशेष लगाव होता है। ऐसा कहा जाता है कि सांताक्लॉज स्वर्ग से आता है और लोगों को मनचाही चीजें उपहार के तौर पर देकर जाता है। यही कारण है कि कुछ लोग सांताक्लॉज की वेशभूषा पहनकर बच्चों को भी खुश कर देते हैं।
इस दिन आंगन में क्रिसमस ट्री लगाया जाता है और इसकी विशेष साज-सज्जा की जाती है और इसी के माध्यम से सभी एक-दूसरे को उपहार भी देते हैं। इस त्योहार में केक का विशेष महत्व है। केक क्रिसमस का विशेष व्यंजन है। इसके बिना क्रिसमस अधूरा होता है। मीठे व मनमोहक केक काटकर खिलाने का रिवाज बहुत पुराना है।
इस दिन चर्च और अपने घरों में क्रिसमस ट्री को सजाने और केक बनाने का बेहद महत्व है। घर पर आने वाले मेहमानों एवं मिलने-जुलने वाले लोगों को केक खिलाकर मुंह मीठा किया जाता है और क्रिसमस की बधाई दी जाती है। इस दिन स्कूलों में छुट्टी होती है, वहीं घर के अलावा मोहल्ले और शहरों के मॉल में क्रिसमस ट्री लगाया जाता है और बच्चों के लिए विभिन्न आयोजन किए जाते हैं।