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holi essay : रंगों के त्योहार होली पर हिंदी में निबंध

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WD Feature Desk

HIGHLIGHTS
 
• होली रंगपंचमी के पावन पर्व पर हिन्दी निबंध।
• कैसे मनाएं होली का त्योहार।
• होली पर निबंध हिंदी में।

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Happy Holi : भारतभर में प्रसिद्ध पर्व होली पर हिंदी में निबंध। यहां पढ़ें होली का इतिहास, होलिका दहन, महत्व, कथाएं, रंगबिरंगे पर्व रंगों की होली का उत्साह तथा रंगों के नुकसान पर हिन्दी में रोचक निबंध। Holi Festival 2024
 
प्रस्तावना (Holi Festival Essay)- प्रतिवर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन और तत्पश्चात रंगों का त्योहार होली मनाया जाता है। होली एक ऐसा रंगबिरंगा त्योहार है जिसे हर धर्म के लोग पूरे उत्साह और मस्ती के साथ मनाते हैं। बच्चे और युवा रंगों से खेलते हैं।

भारतभर में मनाया जानेवाला यह रंगरंगीला त्योहार होली और रंगपंचमी, प्यारभरे रंगों से सजा यह पर्व हर धर्म, संप्रदाय व जाति के बंधन खोलकर भाईचारे का संदेश देता है। इस दिन सारे लोग अपने पुराने गिले-शिकवे भूलकर गले लगते हैं और एक-दूसरे को गुलाल लगाते हैं। 
 
होली की कथा (Holi Katha)- होली के साथ अनेक कथाएं जुड़ी हैं। होली मनाने के एक रात पहले होली को जलाया जिसे होलिका दहन कहा जाता है। इसके पीछे एक लोकप्रिय पौराणिक कथा है। भक्त प्रह्लाद के पिता हरिण्यकश्यप स्वयं को भगवान मानते थे। वे विष्णु के विरोधी थे जबकि प्रह्लाद विष्णु भक्त थे। उन्होंने प्रह्लाद को विष्णु भक्ति करने से रोका। जब वे नहीं माने तो उन्होंने प्रह्लाद को मारने का प्रयास किया। प्रह्लाद के पिता ने अपनी बहन होलिका से मदद मांगी। 
 
होलिका को आग में न जलने का वरदान प्राप्त था। होलिका अपने भाई की सहायता करने के लिए तैयार हो गई। होलिका प्रह्लाद को लेकर चिता में जा बैठी परंतु भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित रहे और होलिका जलकर भस्म हो गई।

होली की कथा हमें इस बात का संकेत करती हैं कि बुराई पर अच्छाई की जीत अवश्य होती है। आज भी पूर्णिमा को होली जलाते हैं और अगले दिन सब लोग एक-दूसरे पर गुलाल, अबीर और तरह-तरह के रंग डालते हैं। यह त्योहार रंगों का त्योहार है। 
 
होली कैसे मनाएं (kaise manaye holi)- इस दिन लोग प्रात:काल जल्दी उठकर होलिका दहन वाले स्थान से वहां भस्म लाकर घर में रखते हैं तथा जल रही होलिका पर एक लोटा पानी गरम करके अपने घर लाते हैं। इसे घर लाना काफी शुभ माना जाता है। इस दिन लोग अपने साथ बहुत सारे रंगों को लेकर अपने नाते-रिश्तेदारों व मित्रों के घर जाते हैं और उनके साथ जमकर होली खेलते हैं। 
 
बच्चों के लिए तो यह त्योहार विशेष महत्व रखता है। वे एक दिन पहले से ही बाजार से अपने लिए तरह-तरह की पिचकारियां व गुब्बारे लाते हैं। बच्चे गुब्बारों व पिचकारी से अपने मित्रों के साथ होली का आनंद उठाते हैं। होली के दिन सभी लोग बैर-भाव भूलकर एक-दूसरे से परस्पर गले मिलते हैं।

घरों में औरतें एक दिन पहले से ही मिठाई, गुझिया आदि बनाती हैं व अपने पास-पड़ोस में आपस में बांटती हैं। कई लोग होली की टोली बनाकर निकलते हैं और उन्हें हुर्रियारे कहा जाता है। ब्रज की होली, मथुरा की होली, वृंदावन की होली, बरसाने की होली, काशी की होली पूरे भारत में मशहूर है।
 
रंगों से नुकसान (holi ke rang)- आजकल अच्छी क्वालिटी के रंगों का प्रयोग नहीं होता और केमिकल वाले रंगों से त्वचा को नुकसान पहुंचाने वाले रंग भी खेले जाते हैं। यह सरासर गलत है। इस मनभावन त्योहार पर रासायनिक लेप व नशे आदि से दूर रहना चाहिए।

बच्चों को भी सावधानी रखनी चाहिए। बच्चों को बड़ों की निगरानी में ही होली खेलना चाहिए। दूर से गुब्बारे फेंकने से आंखों में घाव भी हो सकता है। रंगों को भी आंखों और अन्य अंदरूनी अंगों में जाने से रोकना चाहिए। केमिकल वाले रंगों से होली न खेलते हुए आसान तरीके से घर पर ही नेचरल कलर्स बनाकर होली का पर्व सूखे रंगों की होली खेलते हुए मनाना चाहिए ताकि पानी और सेहत की बचत हो सकें। 
 
उपसंहार (Upasanahar)- होली के पर्व को सभी को मिलजुल कर सादगी से संपन्न करना चाहिए। होली-धुलेंड़ी का यह मस्तीभरा त्योहार जब मिलजुल कर मनाया जाएगा तभी हम इस त्योहार का वास्तविक आनंद उठा पाएंगे।

होली पर्व के संबंध में ऐसा माना जाता है कि होली के दिन लोग पुरानी दुश्मनी, कटुता को भूला कर एक-दूसरे के गले मिलते हैं और तरह-तरह की मिठाइयों तथा नमकीन पकवानों के साथ उत्साहपूर्वक इस त्योहार को मनाते हैं। होली से रंगपंचमी तक इस त्योहार का आनंद और उत्साह सभी जगह देखने को मिलता है। अत: होली खेलते समय सावधानी बरते ताकि कहीं रंग में भंग न पड़ जाएं। 
 
रंगोत्सव पर्व होली, धुलेंडी, रंग पंचमी की सभी को शुभकामनाएं। 

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