होली का त्योहार भारत में फाल्गुन महीने के पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। यह रंगों और खुशियों का त्योहार है। बच्चों में इस दिन बड़ा ही उत्साह रहता है। कई तरह के स्वादिष्ट व्यंजन इस दिन के अवसर के लिए घरों में बनाए जाते हैं। कहा जाता है कि इस दिन सभी लोगों को सारे गिले-शिकवे मिटाकर दोस्ती कर एक नई शुरुआत करनी चाहिए। यही इस त्योहार का उद्देश्य भी है। अहंकार पर आस्था और विश्वास की जीत के कारण यह त्योहार मनाया जाता है।
क्यों मनाया जाता है होली का त्योहार?
दीति के पुत्र हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु से घोर शत्रुता रखते थे। वे खुद से बढ़कर किसी को कुछ भी नहीं समझते थे। लेकिन उनका पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का परम भक्त था। प्रहलाद भगवान विष्णु में बहुत आस्था रखता था और अपने पिता के मना करने पर भी वह उनकी ही पूजा करता था। इस बात से बेहद नाराज और गुस्सा होकर हिरण्यकश्यप ने अपने ही पुत्र को मार देने के कई प्रयास किए। एक बार उन्होंने प्रहलाद को मारने के लिए अपनी बहन होलिका की मदद ली। होलिका को भगवान शंकर से वरदान मिला हुआ था। उसे वरदान के रूप में एक ऐसी चादर मिली थी जिसे ओढ़ने पर अग्नि उसे जला नहीं सकती थी। होलिका उस चादर को ओढ़कर और प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई। लेकिन वह चादर उड़कर प्रहलाद के ऊपर आ गई और प्रहलाद की जगह स्वयं होलिका ही जल गई!
होली का त्योहार भारत में फाल्गुन महीने के पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। यह रंगों और खुशियों का त्योहार है। बच्चों में इस दिन बड़ा ही उत्साह रहता है। कई तरह के स्वादिष्ट व्यंजन इस दिन के अवसर के लिए घरों में बनाए जाते हैं। कहा जाता है कि इस दिन सभी लोगों को सारे गिले-शिकवे मिटाकर दोस्ती कर एक नई शुरुआत करनी चाहिए। यही इस त्योहार का उद्देश्य भी है। अहंकार पर आस्था और विश्वास की जीत के कारण यह त्योहार मनाया जाता है।
तभी से होली से 1 दिन पहले की रात होलिकादहन किया जाता है। इस दिन घमंड और हर तरह की बुरी चीजों और आदतों की आहुति दी जाती है। होलिका के फेरे लगाकर मंगल-कामना की जाती है और राख से तिलक लगाया जाता है। इस दिन नकारात्मकता को त्यागकर सकारात्मकता को अपनाया जाता है। अगली सुबह रंगों से होली खेली जाती है। इन दिनों फूलों से भी होली खेलने का चलन है। मित्र, संबंधी व पड़ोसी सभी एक-दूसरे से मिलकर रंग-गुलाल लगाते हैं। छोटे, बड़ों के पैर छूकर आशीर्वाद लेते हैं।
होली की बुराइयां
होली का बहाना लेकर कई लोग नशा करते हैं और अपनी सुध-बुध खो देते हैं। इस दिन कई असामाजिक तत्व अपनी मस्ती के लिए हानिकारक रंगों का इस्तेमाल कर दूसरों को नुकसान पहुंचाते हैं। बच्चों को बड़ों की निगरानी में ही होली खेलना चाहिए। दूर से गुब्बारे फेंकने से आंखों में घाव भी हो सकता है। रंगों को आंखों और अन्य अंदरुनी अंगों में जाने से बचाएं और दूसरों को रंगते हुए आप भी इस बात का ध्यान रखें कि उनकी आंखों में रंग न जाने पाएं। कुछ बुराइयों पर रोक लगा दें तो होली के त्योहार का रंग फीका नहीं पड़ने पाएगा।