एक बार थानेदार, कलेक्टर और मास्टर बैठे थे।
थानेदार- मेरा बहुत रौब है, जब जी करें किसी को भी पीट सकता हूं।
कलेक्टर- मैं जिले का राजा हूं, जो चाहूं कर सकता हूं।
आखिर में मास्टर की बारी आई।
मास्टर- अपना तो जी, कोई रौब नहीं है। सारे दिन स्टूडेंट्स को चांटे मारता हूं, आगे उनकी किस्मत, फिर चाहे पगले थानेदार बनें या कलेक्टर।