प्राचीन काल में कोरोना आता तो कवि कैसे दोहे रचते।
उदाहरण के लिए
*रहीमदास*
रहिमन घर से जब चलो, रखियो मास्क लगाए
ना जाने किस वेश में करोना मिल जाए
*कबीरदास*
कबीरा काढ़ा पीजिए, काली मिरिच मिलाय
रात दूध हल्दी पियो, सुबह पीजिए चाय
*तुलसीदास*
छोटा सेनिटाइजर तुलसी रखिए जेब,
न काहूं सो मागिहो, न काहूं को देब,
*सूरदास*
सूरदास घर में रहो, ये है सबसे बेस्ट,
जर, जुकाम, सर्दी लगे, तुरत करा लो टेस्ट
*मलूकदास*
बिस्तर पर लेटे रहो सुबह शाम दिन रात,
एक तो रोग भयंकरा ऊपर से बरसात।
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