दशहरे के त्योहार के लिए चम्पू मिठाई की दुकान पर गया।
चम्पू (मिठाई वाले से) : जरा 1/2 किलो गुलाब जामुन देना !
मिठाईवाला :- ये लो...
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चम्पू : नहीं, नहीं, गुलाब जामुन रहने दो !
मुझे जलेबी दे दो !
मिठाई वाला : ठीक है...
ये लो जलेबी !
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चम्पू : नहीं नहीं भाई, माफ करना !
मुझे बूंदी के लड्डू दे दो...
मिठाई वाला (परेशान होकर) : ठीक है,
ये लो लड्डू !
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चम्पू लड्डू लेकर चलता बना...
मिठाई वाला : अरे-अरे,
कहां चले जा रहे हो ?
लड्डू के पैसे तो दो !
चम्पू : ये तो मैंने जलेबी के बदले लिए हैं !
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मिठाई वाला : तो जलेबी के पैसे निकालो !
चम्पू : जलेबी तो मैंने
गुलाब जामुन के बदले ली थी न !
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मिठाई वाला (अब की जोर से गुस्से से बोला) : अरे मेरे बाप,
तो गुलाब जामुन के पैसे निकाल जल्दी...
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चम्पू : उसके पैसे क्यों दूं ?
वो तो मैंने लिए ही नहीं !
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चम्पू मुस्कुराता हुआ आगे बढ़ा
...और मन ही मन कुछ सोचे हुए मिठाई वाले पर हंसने लगा
कैसे उल्लू बनाया मैंने दुकानदार को,
मेरा दशहरा मनाना तो फ्री हो गया।
हैप्पी दशहरा