गांव में दो सहेलियां 12वीं की परीक्षा देने जा रही हैं और आपस में बातें कर रही हैं।
शामली : गामली, तू तो बिलकुल भी पढ़ाई नहीं करती है।
गामली : छोड़ न यार, पास हुए तो फिर 13, 14, 15वीं की परीक्षा दो और फिर नौकरी वाला पति।
शामली : तो? बढ़िया तो है?
गामली : क्या बढ़िया है? 10 घंटों की नौकरी और तनख्वाह 25-30 हजार। फिर गुडगांव, बेंगलुरु, मुंबई, पूना जैसे बड़े शहरों में रहने जाओ। वहां किराए का घर होगा जिसमें आधी तनख्वाह चली जाएगी। खुद का घर चाहिए तो लोन लेकर 4-5 मंजिल ऊपर घर लो और एक गुफा जैसे बंद घर में रहो।
लोन चुकाने में 15-20 साल लगेंगे, न त्योहारों में छुट्टी न गर्मी में। सदा बीमारी का घर। स्वस्थ रहना हो तो ऑर्गेनिक के नाम पर 3-4 गुना कीमत देकर सामान खरीदो। और तू सारा जोड़-घटाव, गुणा-भाग कर ले, तेरी समझ में आ जाएगा।
दूसरी तरफ अगर परीक्षा में फेल हो गई तो पिता किसी अच्छी खेती वाले किसान से ब्याह कर देंगे। पैसे कम-ज्यादा तो होंगे लेकिन सारे अपने सगे होंगे, कोई टैक्स का लफड़ा नहीं। सारा कुछ ऑर्गेनिक उपजाएंगे, खुद की भैंस का दूध पीएंगे। बीमारी की कोई चिंता ही नहीं और सबसे बड़ी बात कि सास, ससुर, पति, बच्चे सब 24 घंटे साथ।
और उससे भी बड़ी बात-
सारी सरकारें हमारे वोटों के चक्कर में हर election से पहले हमारा छक के लिया सारा लोन माफ कर देगी और उस लोन को चुकाएगा कौन, वही नौकरी वाला तुम्हारा पति (समाज का बैल)।
शामली : यार, मैं भी फेल ही हो जाऊं।
जनहित में जारी...।