मैं दोपहर को बरामदे में बैठा था कि तभी एक अल्सेशियन नस्ल का हष्ट पुष्ट लेकिन बेहद थका थका सा कुत्ता कम्पाउंड में दाखिल हुआ....मैंने उस पर प्यार से हाथ फिराया तो वो पूँछ हिलाता खिड़की के पास अपने पैर फैलाकर बैठा और मेरे देखते देखते सो गया.
करीब एक घंटे सोने के बाद कुत्ता बाहर निकला और चला गया.
अगले दिन उसी समय वो फिर आ गया. खिड़की के नीचे एक घंटा सोया और फिर चला गया.
उसके बाद वो रोज आने लगा. आता, सोता और फिर चला जाता.
आता, सोता और फिर चला जाता....
एक रोज मैंने उसके पट्टे में एक चिठ्ठी बाँध दी. जिसमें लिख दिया : आपका कुत्ता रोज मेरे घर आकर सोता है,ये आपको मालूम है क्या?
अगले दिन जब वो प्यारा सा कुत्ता आया तो मैंने देखा कि उसके पट्टे में एक चिठ्ठी बँधी हुई है. उसे निकालकर मैंने पढ़ा.
उसमे लिखा था : ये कुत्ता मेरे साथ ही रहता है लेकिन मेरी बीवी की दिन-रात की किटकिट, पिटपिट, चिकचिक, बड़बड़ के कारण वो सो नहीं पाता और रोज हमारे घर से कहीं चला जाता है.भाई साहब...क्या मैं भी आ सकता हूँ ?