एक बार भाटिया जी अपने मित्र के साथ कहीं जा रहे थे। उनके मित्र गुप्ता जी को चुटकुले सुनाने का दौरा पड़ता था और जब दौरा पड़ता तो किसी को चुटकुला सुनाना ही पड़ता। तो भाटिया जी के साथ जाते हुए भी दौरा पड़ा।
मुसीबत यह थी कि सारे चुटकुले उन्हें सरदारों पर ही आते थे और भाटिया जी खुद सरदार, अब क्या करे? कहीं थप्पड़ ना पड़ जाए। उन्होंने रोकने की, सहने की खूब कोशिश की पर सहनशक्ति से बाहर हो गया।
थप्पड़ और दौरे के दर्द से बचने के लिए सोचा, सरदार की जगह कुछ और बोल दूंगा तो भाटिया भाई भी आहत नहीं होंगे और मुझे भी राहत मिल जाएगी। यह तय कर भाटिया जी से पूछा -
गुप्ता जी : भाई जी एक चुटकुला सुनाऊं?
भाटिया जी : अरे वा भाई ज़रूर सुना...
गुप्ता जी : तो वीर जी एक था मारवाड़ी ..
भाटिया जी ने गुप्ता जी को एक ज़ोरदार थप्पड़ जमाया और बोले : नालायक ! दुनिया के सारे सरदार मर गए क्या जो मारवाड़ी पर चुटकुला सुना रहा है।