बात लगभग 10 साल पुरानी है ...
नौंवीं कक्षा में मैंने विज्ञान की कॉपी नहीँ बनाई थी और कॉपी चेक कराने का भयंकर दबाव था......
मैडम भी बहुत सख्त थी, पता चलता उनको तो उल्टा ही टांग देतीं, पूरे नौ चैप्टर हो चुके थे......
लड़के 40- 40 रुपए वाले रजिस्टर भर चुके थे और मेरे पास रजिस्टर के नाम पर बस एक रफ़ कॉपी में ही थी...
दो रात एक मिनट भी नींद नहीं आई,
ऊपर से हेड सर् को पता चलने का डर
इस प्रकार चेकिंग का दिन आ ही गया
मैडम ने चेकिंग शुरू की 18 रोल नंबर वालों तक की कॉपी चेक हुईं और घंटी बज गई,
मैंने राहत की सांस ली.....
तभी मैडम ने जल्दी जल्दी में कहा:-
सभी बच्चे अपनी अपनी कॉपी जमा करके दे दो, मैं चेक करके भिजवा दूंगी.....
तभी मेरा शातिर दिमाग घूमा, और मैं भीड़ में कॉपियों तक गया और जैसे अलजेब्रा में मान लेते हैं
ठीक वैसे ही मैंने भी मान लिया कि कॉपी मैंने जमा कर दी ......अब कॉपी की जिम्मेदारी मैडम की.....
दो दिन बाद सबकी कॉपी आई लेकिन मेरी नहीं आई...आती भी कैसे......?
मैं मैडम के पास गया और बोला:-
मैडम जी, मेरी कॉपी नहीं मिली..
वो बोलीं:-
मैं चेक कर लूंगी, स्टाफ रूम में होगी.....
अगले दिन मैं फिर पहुंच गया और बोला:-
मैडम मेरी कॉपी ?
मैडम बोलीं:-
स्टाफरूम में तो है नहीं, मेरे घर रह गई होगी, कल देती हूं
मैंने कहा:- ठीक है अगले दिन.......
मैं फिर....मैडम कॉपी ?
मैडम बोली:-
बेटा मैंने घर देखी थी,आपकी कॉपी मिल गई है, आज मैं लाना भूल गई, कल देती हूं
मैं(मन ही मन):- वाह ! कमाल हो गया, कॉपी दिए बिना ही मैडम के घर में मिल गई, असंभव हुआ संभव
अगले दिन मैं फिर:- मैडम कॉपी वो क्या है ना मैडम जी, याद भी करना भी जरूरी है
और यूं मैंने 5 दिन तक जो मुझे मिला वही तनाव मैडम को दिया फिर मैडम ने हमको स्टाफरूम में बुलाया बोली:-
देखो बेटा! आपकी कॉपी हमसे गलती से खो गई है
मैंने ऐसा मुरझाया मुंह बना बनाया जैसे पता नहीं अब क्या होगा और कहा:-
मैम अब क्या होगा?
मैं दोबारा कैसे इतना लिखूंगा,याद कैसे करूंगा? इम्तिहान कैसे दूंगा, इतना सारा काम मैं फिर से कैसे लिखूंगा....?
मैडम ने ज्यों ही कहा:- बेटा तुम चिंता ना करो दसवें चैप्टर से कॉपी बनाओ और बाकी दोबारा मत लिखना, वो मैं बंदोबस्त कर दूंगी ऐसे लगा जैसे भरी गर्मी में कलेजे पर बर्फ रगड़ दी हो किसी ने 15 अगस्त के दिन लड्डू की जगह छेने बंटे हो मानो 50 किलो का बोझा सिर से उतर गया हो...
मैडम के सामने तो खुशी जाहिर नहीं कर सकता था लेकिन
मैडम के जाते ही तीन बार घूंसा हवा में मारकर "Yes! Yes! Yes!" बोलकर अपन टाई ढीली करते हुए आगे बढ़ लिया
अगले दिन मैडम उन 9 चैप्टर की 80 पेज की फोटोस्टेट लेकर आई और मुझे देते हुए बोली:-
ये लो बेटा, कुछ समझ ना आए तो कभी भी आकर समझ लेना उसी दिन मुझे अपनी असली शक्तियों का एहसास हुआ कि अपनी पर आऊं तो मैं कुछ भी कर सकता हूं.....