कुछ लोगों के जीवन में झूठ बोलना मजबूरी होता है...
संपादकः आपकी रचना बेहतरीन है, मगर हमारा शेड्यूल बहुत टाइट है।...
सचिवः साहब बहुत बिज़ी हैं, अभी आपसे नहीं मिल सकते।
डेऩ्टिस्टः आपको बिल्कुल दर्द नहीं होगा।
मित्रः यार तुम तो जानते हो, मैं किसी को नहीं बताने वाला।
मंच पर शायरः और बस यह एक शेर सुना कर विदा लूंगा।
वकीलः आपको लगता है कि मैं यहां बहस करने आता अगर मुझे अपने मुव्वकिल की बेगुनाही पर भरोसा न होता....
पत्नीः बस दो मिनट में तैयार होती हूं....